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    सीतामढ़ी दंगे :एक पत्थर ने नफरत के हवाले कर दिया था सीतामढ़ी के पावन धरती को


    बिहार /सीतामढ़ी /समाचार 
    कैमरामैन/पवन साह/रिपोर्टर/संजू गुप्ता 
    एडिटर और संपादक:-दीपक कुमार 



    सीतामढ़ी : सीतामढ़ी दंगों ने राजनीति और समाज पर क्या असर डाला, पढ़िए सीतामढ़ी दंगों पर WAORS NEWS हिंदी की विशेष रिपोर्ट

     जाती पाती के नाम पर इंसान ने बेच दिया इस जहान को | कुछ इसे  कृपा कहते है, तो कुछ इसे खुदा का फरमान कहते है | 
    अगर आम जिन्दगी में इंसान इन बातो को समझ ले तो किसी तरह का वाद विवाद ही ना हो  20 अक्तूबर 2018 को सीतामढ़ी  शहर और इसके आस-पास के गाँव में जो दंगे शुरू हुए 
    जानकार मानते हैं कि इसने सीतामढ़ी  के साथ-साथ बिहार की राजनीति पर भी गहरा असर छोड़ा है |

    सीतामढ़ी दंगा 
    आज़ादी के बाद से ही फ़साद यानी दंगे हिन्दुस्तान में बदस्तूर जारी रहें. चाहे हुकूमत किसी की भी रही हो. इन सभी फ़सादों का तरीका  बिल्कुल एक जैसा रहा |
    जहां कर्इ संप्रदाय के लोग एक साथ रहतें हैं, वहां सांप्रदायिक दंगों का होना कोर्इ नर्इ बात नहीं है. लेकिन अगर प्रशासन और पुलिस चाहे तो फ़साद पर आसानी से काबू पाया जा सकता है|
    सीतामढ़ीका दंगा अबतक के  इतिहास में  बड़ा ही दुखदायी घटना था. इस दंगे ने पुराने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया है |

    दोनों समुदाय के लोग 
    दोनों समुदाय एक दुसरे को दोष दे रहे है पर दोषी तो दोनों ही है |वीडियो में जिस तरह से एक समुदाय के लोग ईट फेकते और उन्माद फैलाते नजर आ रहे है | तो वो भी अपने को पाक साफ और बेकसूर नहीं बता सकते है |वीडियो में साफ -साफ शब्दों में सुना जा सकता है मुरलिया चक के एक समुदाय के लोगो को कहते मारो-मारो भाला निकाल कर लाओ और घटना के बाद वो लोग सडको से जल्दी-जल्दी  ईटो को सडको से हटा कर  घरो के छतो पर रखने की भी बात कर रहे है | ये लोग इन्संयित को भूल कर हैवानियत का रूप अपना लिए थे |

    क्या इनकी हैवानियत सीतामढ़ी प्रशासन के नजर में आयी ?
    क्या प्रशासन ने इस वारदात को  संज्ञान में लेकर इनके खिलाफ कार्यवाही की ?
    इनके नाम प्राथमिकी दर्ज हुयी ?


    प्रशासन की और से चुक या भेदभाव 
    क्योकि अभी तक जो FIR की कॉपी हमारे पास आई है उसमे कही न कही प्रशासन की और से चुक या भेदभाव नजर आ रहा है | इस प्राथमिकी में जो नाम दर्ज है | उन नामो को देख कर लगता है की सही में हिन्दू मुस्लिम की राजनीती  के रथ पर सवार हो कर 2019 जितने की तैयारी है |ऐसा हम इस लिए कह रहे है की एक समुदाय का लगभग 400 आदमी का नाम है तो वही दुसरे समुदाय के सिर्फ 30 से 40 का ही नाम है | ऐसा क्यों ? दोषी तो दोनों तरफ के लोग है कही इसमें बेकसूर लोग तो नहीं पिस रहा है | सूत्रों की माने तो शहर के गाँव मोहल्ले से पुरुष नदारत है | हम ये नहीं कहते की करवाई ना हो करवाई तो जरुर हो दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए | 

    एडिटरऔर संपादक दीपक कुमार ने इस दंगे को 'सांप्रदायिक भूकंप' की संज्ञा देते हैं|

    उनके अनुसार इस घटना के कारण ही सीतामढ़ी से लेकर प्रदेश तक कई नए राजनीतिक समीकरण उभरे और सभी राजनीती दल सीतामढ़ी की और रुख कर रहे है | और सभी अपनी -अपनी बातो से दोनों  समुदाय में पैठ बनाने की प्रयास में लगे  है |

    सभी राजनीती दल इसे 2019 के चुनाव से जोड़ कर एक दुसरे पर कीचड़ उछालने में लगे है | तो कसूरवार कौन सी राजनीति पार्टी  है ?
    जो हिन्दू मुस्लिम की राजनीती कर समाज के ताना बाना को बिगाड़ने में लगे है ?
    इस रिपोर्ट के साथ वीडियो और प्राथमिकी का कॉपी भी सलग्न करा रहा हु |


     ऊपर वाले ने सारे इंसान एक जैसे बनाये
    ऊपर वाले ने सारे इंसान एक जैसे बनाये लेकिन हम में से कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए इंसानों को बांटने का काम करना शुरू किया |कभी गोरे-काले के फर्क पे,कभी धर्म के फर्क पे,कभी इलाके के फर्क पे,कभी जाति के फर्क पे इंसान बंटने लगे और इनको बांटने वाले बादशाहों, मुल्लाओं, पंडितों ,नेताओं की दूकान चलने लगी | यह इंसानों को बांटने का काम हर दौर में होता रहा है और जब तक इंसान जागरूक नहीं होगा, अज्ञानता के अन्धकार से बाहर नहीं आएगा ऐसे ही हम आपस में  बंटते और इस्तेमाल होते रहेंगे  |


    प्राथमिकी की कॉपी 

























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