नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद मामले चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि मामले में 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी. यह सुनवाई खुली अदालत में की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है.
मध्यस्थता से नहीं निकला कोई नतीजा
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति को कहा था कि मध्यस्थता कार्यवाही के परिणामों के बारे में 31 जुलाई या एक अगस्त तक अदालत को सूचित करें ताकि वह मामले में आगे बढ़ सके। समिति के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला थे।
गुरुवार को मध्यस्थता पैनल ने सीलबंद लिफाफे में सौंपी रिपोर्ट
समझा जाता है कि कलीफुल्ला समिति ने बंद कमरे में हुई मध्यस्थता कार्यवाही के बारे में गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी। पीठ ने कहा, ''हम मध्यस्थता समिति से आग्रह करते हैं कि वह 31 जुलाई तक मध्यस्थता कार्यवाही के परिणामों से अदालत को अवगत कराए...। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। 18 जुलाई तक मध्यस्थता प्रक्रिया में हुई प्रगति के बारे में रिपोर्ट पढ़ चुकी पीठ ने कहा था कि पहले के आदेश के मुताबिक इसकी विषय वस्तु को गोपनीय रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, मध्यस्थता नहीं तो रोजाना होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को मध्यस्थता प्रक्रिया पर रिपोर्ट मांगा था और कहा कि अगर अदालत मध्यस्थता प्रक्रिया समाप्त करने का फैसला करती है तो 25 जुलाई से रोजाना सुनवाई हो सकती है। इसने न्यायमूर्ति कलीफुल्ला से मध्यस्थता प्रक्रिया के बारे में 18 जुलाई तक अवगत कराने और इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में बताने के लिए कहा था।
ज्योति कुमारी द्वारा किया गया पोस्ट