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गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021

अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में डुबकी लगाने से बाँझ भी बन जाती माँ ,आइए जानते हैं पवित्र राधा कुंड से जुड़ी खास मान्यताएं।




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We News 24» नई दिल्ली 

रिपोर्टिंग / दीपक कुमार 

नई दिल्ली : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी  का पर्व आता है. जिस तरह करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए निर्जल और निराहार रखा जाता है, उसी तरह अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सलामती के लिए निर्जल और निराहार रखा जाता है. फर्क सिर्फ इतना है कि करवाचौथ पर महिलाएं चांद के दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं और अहोई अष्टमी के दिन तारों के दर्शन के बाद बाद व्रत खोलती हैं.


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इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन रखा जाएगा. जो लोग नि:संतान हैं और एक यशस्वी संतान की कामना रखते हैं, उनके लिए ये दिन बहुत खास है. मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन यदि ऐसे दंपति राधा कुंड में स्नान करें, तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. राधा कुंड मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता है. हर साल अहोई अष्टमी के दिन यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है. आइये जानिए पवित्र राधा कुंड से जुड़ी खास मान्यताएं.

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अष्टमी की मध्य रात्रि में दंपति कुंड में लगाते हैं डुबकी

हर साल अहोई अष्टमी के मौके पर राधा कुंड में बड़े मेले का आयोजन होता है. साथ ही अहोई अष्टमी से पहले की रात में शाही स्नान किया जाता है. मान्यता है कि इस रात्रि में यदि पति और पत्नी संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस राधा कुंड में डुबकी लगाएं और अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत रखें, तो उनके घर में जल्द ही किलकारियां गूंजती हैं. इसके अलावा जिन दंपति को यहां स्नान के बाद संतान प्राप्ति हो जाती है, वे भी इस दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं. माना जाता है कि राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान की ये परंपरा द्वापरयुग से चली आ रही है.

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अहोई अष्टमी के दिन हुई थी कुंड की स्थापना

माना जाता है कि राधाकुंड की स्थापना द्वापरयुग में अहोई अष्टमी के दिन ही हुई थी. भगवान श्रीकृष्ण ने इस कुंड में रात करीब 12 बजे स्नान किया था इसलिए आज भी यहां अहोई-अष्टमी की मध्य रात्रि में ही विशेष स्नान होता है. हर साल देश-विदेश से आए लाखों भक्त यहां कुंड के तट पर स्थित अहोई माता के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और आरती कर कुंड में दीपदान करते हैं. उसके बाद अहोई अष्टमी से पहले की रात में ठीक 12 बजे विशेष स्नान करते हैं और उसके बाद अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत संतान प्राप्ति की कामना के साथ रखते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने वालों की कामना जरूर पूरी होती है.

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ऐसे बना था राधा कुंड

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण यहां अपने ग्वालों के साथ गाय चरा रहे थे, तब कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नाम का राक्षस गाय के वेश में आकर उनकी गायों को मारने लगा. जब उसने भगवान कृष्ण पर हमला किया तब उन्होंने अरिष्टासुर का वध कर दिया. चूंकि अरिष्टासुर उस वक़्त गाय के वेश में था, इसलिए राधा जी ने इसे गौहत्या माना और कृष्ण से प्राश्चित करने की बात कही. उसके बाद कृष्ण ने अपनी बांसुरी बजाई और बांसुरी से वहां एक गड्ढा खोदा, जिसमें सभी तीर्थों का आह्वान किया. इसके बाद कुंड में स्नान करके गौहत्या का पाप मिटाया. इसके बाद राधा रानी ने भी बगल में अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया. श्रीकृष्ण के खोदे ​कुंड को श्याम कुंड और राधा के खोदे कुंड को राधाकुंड कहा गया.


श्रीकृष्ण ने राधारानी को दिया था वरदान

ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अनुसार महारास के बाद श्रीकृष्ण ने राधाजी की इच्‍छानुसार उन्हें वरदान दिया था कि जो भी दंपत्ति राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान करेगा उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. माना जाता है कि कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में आज भी भगवान श्रीकृष्ण मध्य रात्रि में राधाजी और अन्य सखियों के साथ राधाकुंड में महारास करते हैं.

एक मान्यता है कि सप्तमी की रात्रि को पुष्य नक्षत्र में रात्रि 12 बजे राधा कुंड में स्नान करते हैं। इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त कर पुत्र रत्न प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। कार्तिक मास की अष्टमी को वे पति-पत्नी जिन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई है, निर्जला व्रत रखते हैं।

क्या है शुभ मुहूर्त ?

राधा कुंड स्नान गुरुवार, 28 अक्टूबर, 2021

राधा कुंड अर्ध रात्रि स्नान मुहूर्त – 11:38 PM to 12:29 AM,

29 अक्टूबर अवधि – 00 घंटे 51 मिनट

अहोई अष्टमी व्रत गुरुवार, 28 अक्टूबर,2021 

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