We News 24 Hindi / रईस अहमद
बिहटा :- अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की 140वीं स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार के बिहटा स्थित डॉ. अशोक गगन कॉलेज में "शिक्षा पर महात्मा गांधी के विचार" विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज के गांधी सभागार में किया गया। मुख्य अतिथियों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के नेशनल कोऑर्डिनेटर (एससी) डॉ. अशोक गगन, पटना ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष सुमित कुमार सन्नी, और कॉलेज निदेशक डॉ. दिव्य ज्योति समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
ये भीं पढ़े-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन
कार्यक्रम की शुरुआत:
कार्यक्रम का आरंभ महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
मुख्य वक्ताओं के विचार:
डॉ. अशोक गगन ने कांग्रेस के 140 वर्षों के गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि कांग्रेस केवल एक राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि एक विचार और आंदोलन का प्रतीक है। उन्होंने महात्मा गांधी के शिक्षा संबंधी विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी जी शिक्षा को नैतिकता और स्वावलंबन के आधार पर देखते थे। गांधी जी का मानना था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, जिससे व्यक्ति सहजता और रुचि के साथ ज्ञान अर्जित कर सके।
ये भी पढ़े-क्या जापान में द ग्रैंड शील्ड ट्रस्टेल का धोखाधड़ी का पैसा नेपाल में निचिरेन शोशु धर्मांतरण मंदिर निर्माण में लगा ?
हमारे twitter Page को Like करे
हमारे WhatsApp Chenal को Join करे
हमारे Facebook Page को Likeकरे
सुमित कुमार सन्नी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा सत्याग्रह और जन आंदोलनों के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम को व्यापक जनसमर्थन दिलाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने गांधी युग को सामाजिक क्रांति और सर्वधर्म समभाव के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार का समय बताया।
अन्य वक्ताओं के योगदान:
कॉलेज निदेशक डॉ. दिव्य ज्योति समेत प्रो. आशीष रंजन, प्रो. अमित कुमार, प्रो. पीयूष, और अन्य शिक्षाविदों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी ने गांधी जी की शिक्षा और समाज सुधार की विचारधारा को आधुनिक संदर्भ में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
निर्णय:
इस अवसर पर नौ सत्याग्रह कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया गया, जिसमें गांधी जी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया।
कार्यक्रम ने महात्मा गांधी के शिक्षा संबंधी विचारों के महत्व को उजागर करते हुए सामाजिक और शैक्षिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद