We News 24 Hindi / दीपक कुमार
नई दिल्ली :- चुनाव आते ही सभी पार्टी वादों की झड़ी लगा देते है चाहे वो वादा पूरा हो या ना हो और जनता इनके लोक लुभावन वादों में फंस जाती है . आज दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) और इसके नेता अरविंद केजरीवाल ने 24 घंटे पानी की सप्लाई का वादा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है। राजेंद्र नगर में नल से पानी पीकर इस योजना की शुरुआत करना एक प्रतीकात्मक कदम है, लेकिन यह वादा कितना व्यावहारिक और टिकाऊ होगा,
इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अब सवाल ये उठता है जो दिल्ली गर्मी बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो जाता है .आज भी दिल्ली के बहुत से इलाके में पानी की समस्या है . जर्जर हो चुकीपुरानी पानी की पाइप लाइन लोगो घरो में गंदा और बदबूदार पानी आता है , फिर भी केजरीवाल दिल्ली वालो को देंगे 24 घंटे पानी देंगे कंहा से लायेंगे केजरीवाल पानी ? ये एक सिर्फ चुनावी जुमला बनकर रह जायेगा ? .
दिल्ली की जल समस्या:
बुनियादी ढांचे की समस्या:
- दिल्ली के कई इलाकों में आज भी पानी की पाइपलाइनें जर्जर हैं।
- गंदा और बदबूदार पानी की सप्लाई आम समस्या है।
- बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में पानी की किल्लत हर गर्मी में विकराल रूप ले लेती है।
- दिल्ली जल बोर्ड हजारो करोड़ के घाटे में
- दिल्ली जल बोर्ड के पास पाइलाइन के पाइप बदलने तक के पैसे नहीं
पानी की सप्लाई में असमानता:
- दिल्ली के कई इलाकों में पानी की सप्लाई सीमित है या बिलकुल नहीं है।
- टैंकर माफिया का प्रभुत्व अभी भी कई जगहों पर देखा जाता है।
भूजल स्तर की गिरावट:
- दिल्ली का भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, जिससे पानी की उपलब्धता और भी कम हो रही है।
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दिल्ली जल बोर्ड की मौजूदा स्थिति:
भारी घाटा:
- दिल्ली जल बोर्ड पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है।
- पानी की आपूर्ति और बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए धन की कमी है।
बुजुर्ग पाइपलाइन नेटवर्क:
- कई इलाकों में पानी की पाइपलाइनें 20-30 साल पुरानी हैं और जर्जर हो चुकी हैं।
- पाइपलाइनों से पानी का रिसाव बड़ी समस्या है, जिससे हर साल लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
प्रभावित परियोजनाएं:
- पाइपलाइन बदलने और नए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की कमी है।
- जल शोधन संयंत्रों और नई पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध नहीं है।
भारी घाटा:
- दिल्ली जल बोर्ड पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है।
- पानी की आपूर्ति और बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए धन की कमी है।
बुजुर्ग पाइपलाइन नेटवर्क:
- कई इलाकों में पानी की पाइपलाइनें 20-30 साल पुरानी हैं और जर्जर हो चुकी हैं।
- पाइपलाइनों से पानी का रिसाव बड़ी समस्या है, जिससे हर साल लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
प्रभावित परियोजनाएं:
- पाइपलाइन बदलने और नए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की कमी है।
- जल शोधन संयंत्रों और नई पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध नहीं है।
केजरीवाल का वादा: 24 घंटे पानी सप्लाई
चुनाव पूर्व एलान:
- केजरीवाल ने 24 घंटे पानी की आपूर्ति और पानी की गुणवत्ता सुधारने का वादा किया है।
- यह दिल्ली जल बोर्ड और पाइपलाइन नेटवर्क के पुनर्निर्माण के आधार पर संभव हो सकता है।
संभावित चुनौतियां:
- आधारभूत संरचना:
- मौजूदा पाइपलाइन और जल शोधन प्रणाली को दुरुस्त करना बड़ा और महंगा काम है।
- जल स्रोत:
- यमुना नदी और भूजल पर निर्भरता बढ़ाना दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता।
- राजनीतिक जुमला:
- आलोचकों का मानना है कि यह वादा भी अन्य चुनावी घोषणाओं की तरह हो सकता है, जिसका कार्यान्वयन चुनावों के बाद धीमा पड़ जाएगा।
वास्तविकता और जनता की राय:
लोगों की आशंकाएं:
- दिल्ली के कई निवासी मानते हैं कि यह घोषणा केवल चुनावी जुमला है।
- चुनाव के बाद इन योजनाओं का क्रियान्वयन अक्सर धीमा हो जाता है।
विकास की संभावनाएं:
- यदि इस वादे को पूरा किया जाता है, तो यह दिल्ली की जल समस्या को काफी हद तक हल कर सकता है।
- यह कदम जल संरक्षण, जल शोधन, और वितरण प्रणाली के व्यापक पुनर्गठन की मांग करता है।
निष्कर्ष:
अरविंद केजरीवाल का 24 घंटे पानी देने का वादा एक महत्वाकांक्षी कदम है, लेकिन इसके पीछे मजबूत योजना और क्रियान्वयन की आवश्यकता है। दिल्ली की जल समस्या को सुलझाने के लिए सिर्फ घोषणाएं नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जनता के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव के बाद इस वादे पर कितना अमल होता है।
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