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    केंद्र की मोदी सरकार जनसंख्या नियंत्रण विधेयक बिल पर क्यों साध ली चुप्पी ?

     

    केंद्र की मोदी सरकार जनसंख्या नियंत्रण विधेयक बिल पर क्यों साध ली चुप्पी ?







    We News 24 Hindi / विवेक श्रीवास्तव 


    नई दिल्ली :- भारत की बढ़ती आबादी और बच्चे पैदा करने को लेकर मचे तनातनी के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र की बड़ी प्लानिंग सामने आई है.भारत की जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि पॉपुलेशन कंट्रोल बिल लाने के बजाय, विभिन्न फैमिली प्लानिंग कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) को नियंत्रित करने पर जोर दिया जा रहा है।



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    मौजूदा स्थिति और आंकड़े:

    1. फर्टिलिटी रेट:

      • भारत का वर्तमान फर्टिलिटी रेट 2.0 है, जो 2000 में 2.1 था।
      • देश के 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फर्टिलिटी रेट 2.0 या उससे कम है।
      • सिक्किम (1.1), लद्दाख, गोवा और अंडमान (1.3) जैसे राज्यों में यह बेहद कम है।
      • बिहार (3.0), यूपी (2.4), और झारखंड (2.3) जैसे राज्यों में यह अभी भी चिंता का विषय है।
    2. जनसंख्या:

      • भारत की कुल आबादी 142 करोड़ से अधिक है, जो इसे विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनाती है।



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    जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार की रणनीति:

    सरकार चार मुख्य तरीकों से जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है:

    1. अंतारा और छाया स्कीम:

    • महिलाओं को गर्भनिरोधक उपकरण और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
    • अंतारा स्कीम: एक गर्भनिरोधक इंजेक्शन प्रदान किया जाता है, जो अनचाहे गर्भ से बचाव करता है।
    • 2023-24 में अकेले उत्तर प्रदेश में 13 लाख से अधिक महिलाओं ने इस स्कीम का लाभ लिया।

    2. जागरूकता अभियान:

    • हर साल विश्व जनसंख्या दिवस पर पखवाड़ा आयोजित किया जाता है।
    • जागरूकता के लिए ह्यूमन चेन और अन्य अभियानों का आयोजन किया जाता है।

    3. मिशन परिवार विकास:

    • उन राज्यों में जहां फर्टिलिटी रेट अधिक है, विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।
    • गर्भनिरोधक विकल्प उपलब्ध कराने से लेकर नसबंदी जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं।
    • नसबंदी करवाने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से ₹2200 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

    4. पीआईपी मॉडल (Programme Implementation Plan):

    • परिवार नियोजन के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है।
    • स्थानीय स्तर पर योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए इस मॉडल का उपयोग किया जा रहा है।


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    राजनीतिक संदर्भ:

    • शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने शीतकालीन सत्र के दौरान पॉपुलेशन कंट्रोल बिल पर सवाल उठाया था, लेकिन सरकार ने इस पर सीधा जवाब देने से परहेज किया।
    • लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने केवल यह कहा कि फर्टिलिटी रेट में गिरावट हो रही है और इसे और कम करने की कोशिश जारी है।


    विशेषज्ञों की राय:

    • जानकारों का मानना है कि फर्टिलिटी रेट में कमी आने से जनसंख्या वृद्धि दर खुद-ब-खुद नियंत्रित हो जाएगी।
    • हालांकि, बिहार और यूपी जैसे राज्यों में अभी भी उच्च फर्टिलिटी रेट चिंता का विषय है।


    निष्कर्ष:

    केंद्र सरकार ने पॉपुलेशन कंट्रोल बिल लाने के बजाय मौजूदा योजनाओं और जागरूकता अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया है। अंतारा और छाया स्कीम, मिशन परिवार विकास, और पीआईपी मॉडल जैसे कार्यक्रमों के जरिए फर्टिलिटी रेट को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। यह एक धीमी लेकिन प्रभावी रणनीति मानी जा रही है, जो समय के साथ भारत की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर सकती है।

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