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मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' बिल पेश हुआ ,विपक्ष ने किया विरोध कहा संविधान के मूल ढांचे पर हमला

 

लोकसभा में  'एक देश, एक चुनाव' बिल ,विपक्ष ने किया घोर विरोध









We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार 


नई दिल्ली :- लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। इसके बाद वोटिंग हुई। इसके पक्ष में 220 वोट पड़े जबकि 169 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया। बिल पर चर्चा और पारित होने के लिए वोटिंग की गई। पहली बार लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक डिविजन का इस्तेमाल किया गया।


इस बिल का विपक्ष ने विरोध किया। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, "हमारी पार्टी इस बिल का विरोध करती है। यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। कई संविधान निर्माताओं और कोर्ट ने कहा है कि मूल ढांचे को बदलने का अधिकार किसी को नहीं है। यह बिल संविधान के खिलाफ है।"



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पीएम मोदी बिल को जेपीसी के पास भेजना चाहते थे: अमित शाह


एक राष्ट्र एक चुनाव बिल को वापस लेने की विपक्षी सांसदों की मांग पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "जब बिल कैबिनेट में आया तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाना चाहिए।" इस दौरान आईयूएमएल नेता ई.टी. मोहम्मद बशीर, आरएसपी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक का कड़ा विरोध किया और मांग की कि इसे जल्द से जल्द वापस लिया जाए।


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सरकार को एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक वापस लेना चाहिए: सांसद


कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत पर हमला है। विधेयक का प्रस्तुतीकरण और विचार इस सदन की विधायी क्षमता से परे है, मैं सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह करता हूं।



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यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करता है: कल्याण बनर्जी


टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करता है। अनुच्छेद 82 और उप-अनुच्छेद 5 चुनाव आयोग को सारी शक्ति दे रहा है। एक पार्टी कभी भी हमेशा के लिए शासन नहीं कर सकती।"


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यह विधेयक सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है: सुप्रिया सुले

एनसीपी (एसपी) सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्होंने विधेयक का विरोध किया है। यह संविधान की कीमत पर सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस विधेयक को तत्काल वापस लिया जाए या आगे के परामर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए।


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क्या कहा गया है विधेयक में?


13 दिसंबर की रात को विधेयक की एक प्रति सामने आई। इसके अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग हो जाती है, तो उस विधानसभा के शेष 5 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे। विधेयक में अनुच्छेद 82 (ए) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है।

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