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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

शेख हसीना प्रत्यर्पण से कैसे बचेंगी? बांग्लादेश में रहे भारत के राजदूत ने बताये उपाय


शेख हसीना प्रत्यर्पण से कैसे बचेंगी? बांग्लादेश में रहे भारत के राजदूत ने बताये उपाय








We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार 


नई दिल्ली :- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव ने नया मोड़ ले लिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को औपचारिक रूप से नोट वर्बल के माध्यम से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। भारत ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।वहीं शेख हसीना प्रत्यर्पण के खिलाफ क्या उपाय अपना सकती है, बांग्लादेश में भारत के राजदूत रहे महेश सचदेव ने इस बात का जिक्र किया है।



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भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि:


2013 में हस्ताक्षरित और 2016 में संशोधित इस संधि का उद्देश्य उग्रवाद और आतंकवाद के मुद्दों को हल करना था। इस संधि के तहत दोनों देश एक-दूसरे से अपराधियों या आरोपियों के प्रत्यर्पण का अनुरोध कर सकते हैं।


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शेख हसीना की स्थिति:


शेख हसीना अगस्त 2023 से भारत में रह रही हैं। उन्होंने बांग्लादेश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण देश छोड़ दिया था। हसीना पर

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मानवाधिकार उल्लंघन और नरसंहार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।


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रणधीर जयसवाल का बयान:

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बांग्लादेश के नोट वर्बल की पुष्टि की है। हालांकि, भारत की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।


शेख हसीना की संभावित रणनीति:


पूर्व राजदूत महेश सचदेव के अनुसार, शेख हसीना भारतीय अदालतों में इस अनुरोध को चुनौती दे सकती हैं। वह दावा कर सकती हैं कि बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता और उनके साथ वहां अन्याय होने की संभावना है।


अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण:


हसीना यह तर्क दे सकती हैं कि उनके खिलाफ मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। उनके प्रत्यर्पण से भारत को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।


भारत की राजनीतिक और कूटनीतिक स्थिति:


भारत भी राजनीतिक और रणनीतिक कारणों से प्रत्यर्पण को खारिज कर सकता है। यह मामला क्षेत्रीय स्थिरता और भारत-बांग्लादेश संबंधों के संतुलन के लिए बेहद संवेदनशील है। भारत को इस मुद्दे पर बांग्लादेश के साथ अपने मजबूत संबंधों को बनाए रखने और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से बचने के लिए संतुलन साधना होगा।


संधि के कानूनी पहलू: 

प्रत्यर्पण संधि की शर्तें लागू होने पर भारत के लिए इसे नकारना आसान नहीं होगा। लेकिन, यदि भारत इस मामले को राजनीतिक मानता है, तो प्रत्यर्पण को अस्वीकार करने का कानूनी आधार बना सकता है।


शरण देने का निर्णय:


भारत को यह तय करना होगा कि शेख हसीना को लंबे समय तक शरण देना उसकी आंतरिक और कूटनीतिक प्राथमिकताओं के अनुकूल है या नहीं।


निष्कर्ष:

यह मामला भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए संवेदनशील है। भारत को संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने फैसले लेने होंगे। शेख हसीना इस बीच कानूनी और राजनीतिक रणनीतियों का सहारा ले सकती हैं। 

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