We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में 'सलाहकार' के तौर पर काम कर रहे महफूज आलम ने 16 दिसंबर 1971 को विजय दिवस के मौके पर भारत के खिलाफ विवादित बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। विजय दिवस बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना पर बांग्लादेशी सेना की जीत का प्रतीक है।
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इसी दिन महफूज ने सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट किया था। पोस्ट में महफूज आलम ने पूर्वोत्तर और उत्तरी भारत में सांस्कृतिक असंतोष भड़काने की कोशिश की थी। इसके साथ ही एक विवादित नक्शा जारी किया था, जिसमें पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था। विवाद बढ़ने के बाद महफूज ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी थी।
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पूर्वोत्तर भारत को अस्थिर करने की कोशिश
महफूज आलम ने अपनी पोस्ट में दावा किया कि पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के लोगों की संस्कृति एक जैसी है, धर्म के अलावा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत की ऊंची जातियों और 'हिंदू कट्टरपंथियों' के रवैये के कारण पूर्वी पाकिस्तान बना। महफूज ने अपनी पोस्ट में 1975 और 2024 की घटनाओं को दोहराने की जरूरत बताई।
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1975 और 2024 का संदर्भ
1975 में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। महफूज ने 2024 में शेख हसीना को सत्ता से हटाने की कथित योजना को अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के बीच 50 साल का अंतर है, लेकिन हालात नहीं बदले हैं। महफूज ने दावा किया कि बांग्लादेश को एक नई व्यवस्था और भूगोल की जरूरत है।
विवादित नक्शा और धमकी भरे शब्द
महफूज ने फेसबुक पर एक विवादित नक्शा शेयर किया, जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश अभी भी अपनी 'आजादी की तलाश' में है और यह तो बस शुरुआत है। हालांकि, भारत पर कब्जा करने का सपना साझा करने के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने चुपचाप पोस्ट डिलीट कर दिया।
महफूज आलम की पृष्ठभूमि और विवाद
महफूज आलम एक कट्टरपंथी इस्लामवादी नेता हैं, जिन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में मंत्री स्तर के सलाहकार के रूप में काम किया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यूनुस ने महफूज को हसीना को सत्ता से हटाने के लिए 'सावधानीपूर्वक तैयार' ऑपरेशन का मास्टरमाइंड बताया था।
महफूज, जिन्होंने 2016 में विश्वविद्यालय छोड़ दिया था, खुद को एक छात्र नेता बताते हैं। उनके बयानों और गतिविधियों से साफ पता चलता है कि उनका इरादा भारत विरोधी भावनाओं को भड़काना और कट्टरपंथी इस्लाम का समर्थन करना है।
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