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रविवार, 15 दिसंबर 2024

निचिरेन शोशु धर्मांतरण संप्रदाय ने काठमांडू इंपीरियल होटल में गुप्त बैठक की

निचिरेन शोशु धर्मांतरण संप्रदाय ने काठमांडू इंपीरियल होटल में गुप्त बैठक की





निचिरेन शोशु धर्मांतरण संप्रदाय द्वारा मीडिया और लोगों को धमकाने के आरोप एक गंभीर मुद्दा है, जो सामाजिक, कानूनी और नैतिक रूप से न केवल गलत है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करता है।





We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / काठमांडू संवाददाता


काठमांडू :- दिनांक 14/12/2024 को काठमांडू के गौशाला स्थित इम्पीरियल होटल में निचिरेन शोशु धर्मांतरण संगठन की एक गुप्त बैठक हुई, सूत्रों के अनुसार जापान से पर्यटक और व्यावसायिक वीजा पर आए जापानी नागरिक और म्योकान्को के अध्यक्ष ओकुसा काजुओ (कोटो) के साथ कोहजी ओहकुरा और उनकी पत्नी एत्सुको, यासुमुरा, हातानाका, ओकानो के साथ कुल आठ जापानी नागरिकों के साथ रौशन तुलाधर समेत 14 नेपाली नागरिकों ने होटल के एक बंद कमरे में उनके साथ बैठक की। यह बैठक सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक चली। इस बैठक को सदस्य जागृति एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम नाम दिया गया।



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 जैसा कि हम अपने पाठकों को लगातार समाचारों के माध्यम से निचिरेन शोशु धर्मांतरण संप्रदाय की अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी देते रहे हैं, जो इस संप्रदाय के लोग जापान के बाहर करते आये हैं। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि निचिरेन शोशु धर्मांतरण संप्रदाय के लोग दूसरे देशों में गलत जानकारी देकर वीजा हासिल करते हैं और उस देश में जाकर धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। 


यह रिपोर्ट निचिरेन शोशु धर्मांतरण संगठन द्वारा कथित रूप से की जा रही अवैध गतिविधियों पर गंभीर आरोपों को विस्तार से उजागर करती है। इसमें धर्मांतरण, आर्थिक अनियमितताओं, और धमकियों जैसे मुद्दे शामिल हैं, जो सामाजिक, कानूनी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय हैं।


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मुख्य बिंदु:

  1. बैठक का आयोजन:

    • स्थान: गौशाला स्थित इम्पीरियल होटल, काठमांडू।
    • प्रतिभागी: 8 जापानी नागरिक (प्रमुख सदस्य जैसे ओकुसा काजुओ, कोह्जी ओह्कुरा और उनकी पत्नी एत्सुको) और 14 नेपाली नागरिक।
    • समय: सुबह 9:30 से दोपहर 12:30 तक।
    • बैठक का उद्देश्य: इसे "सदस्य जागृति और प्रशिक्षण कार्यक्रम" नाम दिया गया।
  2. आरोपित गतिविधियां:

    • धर्मांतरण:
      आरोप है कि यह संगठन नेपाल में धर्म परिवर्तन की गतिविधियां कर रहा है।
      काठमांडू-भक्तपुर क्षेत्र में एक भव्य धर्मांतरण मंदिर का निर्माण इसका प्रमाण बताया गया है।

    • वीजा उल्लंघन:
      संगठन के सदस्य गलत जानकारी देकर पर्यटक/व्यावसायिक वीजा प्राप्त कर रहे हैं।

    • आर्थिक अनियमितता:
      हवाला और हुंडी के माध्यम से पैसों का लेन-देन।
      नेपाल में महंगे घरों में रह रहे 20-25 जापानी नागरिकों पर सालाना 5 करोड़ रुपये खर्च होने का आरोप।

  3. मीडिया और धमकियां:

    • रिपोर्टिंग रोकने के लिए पत्रकारों को धमकियां दी गईं।
    • कोह्जी ओह्कुरा ने भारत में रिपोर्टिंग के खिलाफ केस दर्ज कराकर   डराने की कोशिश की।
    •  नेपाल में भी इस संगठन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जापानी गैंगस्टर,यकुजाद्वारा जान से मारने की धमकी मिलने की बात कही गई है।
    • स्थानीय लोगों को धमकी:

      • नेपाल और अन्य देशों में स्थानीय नागरिकों को धर्मांतरण गतिविधियों का विरोध करने पर धमकाया गया।
      • यह भी कहा गया कि संगठन स्थानीय लोगों को लालच देकर अपने कामों में शामिल करता है, और अगर कोई विरोध करता है, तो उस पर अदालत में झूठा केस कर और पुलिस प्रशासन को पैसा देकर  गिरफ्तार करवाने कादबाव बनाने की कोशिश की जाती है।


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प्रभाव और चुनौती:

  1. कानूनी असर:

    • नेपाल और भारत जैसे देशों को ऐसे संगठनों की गतिविधियों की गहन जांच करनी चाहिए।
    • वीजा नियमों के उल्लंघन और हवाला लेन-देन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
    • जो भी स्थानीय लोग जापनी का साथ दे रहे है उनपर कठोर क़ानूनी करवाई की जानी चाहिए ।
    • जिनके सह पर जापानी नेपाल में आये उनकी जाँच कर क़ानूनी करवाई की जानी चाहिए ।
  2. सामाजिक-धार्मिक प्रभाव:

    • धर्मांतरण की गतिविधियां नेपाल की धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना को प्रभावित कर सकती हैं।
    • स्थानीय लोगों को इस प्रकार की गतिविधियों के लिए लालच देना सामाजिक ताने-बाने पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  3. मीडिया की स्वतंत्रता:

    • मीडिया को धमकाने और रिपोर्टिंग रोकने की कोशिश लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
    • पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।


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आगे की कार्रवाई के लिए सुझाव:

  1. जांच और निगरानी:

    • नेपाल और भारत की खुफिया और कानूनी एजेंसियों को संगठन की गतिविधियों की जांच करनी चाहिए।
    • हवाला और हुंडी के माध्यम से हो रहे आर्थिक लेन-देन पर नजर रखनी चाहिए।
  2. स्थानीय समुदाय की भागीदारी:

    • लोगों को इन गतिविधियों के बारे में जागरूक किया जाए।
    • धर्मांतरण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाए।
  3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:

    • जापानी सरकार को भी इन आरोपों की जांच में सहयोग देना चाहिए।
    • वीजा प्रक्रिया को सख्त बनाकर इस प्रकार की गतिविधियों को रोका जा सकता है।



निचिरेन शोशु द्वारा अर्जेंटीना में किए गए कथित अवैध कार्य और उस पर की गई सरकारी कार्रवाई धार्मिक संगठनों द्वारा नियमों और सामाजिक मूल्यों के उल्लंघन के गंभीर परिणामों का उदाहरण है। इस प्रकरण ने स्थानीय सरकार, अदालतों, मीडिया और नागरिकों को सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया।

अर्जेंटीना का मामला: मुख्य बिंदु

  1. सरकारी कार्रवाई:

    • पंजीकरण रद्द: 2 जुलाई, 1998 को, अर्जेंटीना सरकार ने निचिरेन शोशु की पंजीकृत कॉर्पोरेट स्थिति को रद्द कर दिया।
    • धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध: 15 जुलाई, 1998 को सरकार ने इसकी आधिकारिक घोषणा की।
  2. मूल कारण:

    • मदर टेरेसा पर अपमानजनक टिप्पणी:
      निचिरेन शोशु के पुजारी रेव. डोरेई इटो ने मदर टेरेसा को "नरक की ओर ले जाने वाली शैतान" कहा। यह टिप्पणी सितंबर 1997 में निचिरेन शोशु के प्रकाशन सेनजेत्सु में प्रकाशित हुई।

      • प्रतिक्रिया: अर्जेंटीना में मदर टेरेसा को गहरे मानवीय कार्यों के लिए अत्यंत सम्मान प्राप्त है। इस टिप्पणी के कारण व्यापक मीडिया निंदा और सार्वजनिक आक्रोश हुआ।
    • अनुचित परमिट:
      अप्रैल 1998 में, निचिरेन शोशु ने ब्यूनस आयर्स में उचित सरकारी परमिट के बिना एक धार्मिक केंद्र स्थापित किया।

      • स्थानीय विरोध: क्षेत्र के निवासियों ने इस अवैध निर्माण और गतिविधियों का विरोध करते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।
  3. परिणाम:

    • निचिरेन शोशु की गतिविधियों पर प्रतिबंध और उनकी धार्मिक पहचान समाप्त करना।
    • यह कदम अर्जेंटीना सरकार द्वारा नागरिकों की मांग और सार्वजनिक आक्रोश को देखते हुए उठाया गया।

मीडिया की भूमिका:

  • अर्जेंटीना के मीडिया ने निचिरेन शोशु के आपत्तिजनक कृत्यों को उजागर किया, जिससे जनता में जागरूकता बढ़ी।

निष्कर्ष:

यह मामला न केवल नेपाल और भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। धर्मांतरण, आर्थिक अनियमितता, और धमकियों जैसे मुद्दे समाज और कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं। इस पर निष्पक्ष और प्रभावी कार्रवाई आवश्यक है।


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