We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / अनिल पाटिल
मुंबई :- महाराष्ट्र में हाल ही में काफी राजनैतिक ड्रामे के बाद हुए कैबिनेट विस्तार ने राजनीति और प्रशासनिक हलकों में खासा ध्यान आकर्षित किया है। मंत्रिमंडल में शामिल हुए 39 नए मंत्रियों में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कुछ नामों की उपस्थिति ने इस विस्तार को और चर्चा का विषय बना दिया है। रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के 19, शिवसेना के 11 और एनसीपी के 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें से तीन नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप है। किसी भी नेता के नाम क्लोजर रिपोर्ट अदालत में जमा नहीं की गई, जिसका मतलब उनपर जांच जारी है।
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प्रताप सरनाईक, हसन मुश्रिफ और धननंजय मुंडे पर जब मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप ईडी ने लगाए थे तब वो विपक्ष में थे और बाद में वो सरकार में शामिल हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, जिन मंत्रियों पर केस जारी है उनसे जुड़ी कंपनियों और कुछ लोगों के खिलाफ ईडी ने चार्जशीट दाखिल की है।
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भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे मंत्री
- प्रताप सरनाईक: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं।
- हसन मुश्रिफ: इनके ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है और इनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले लंबित हैं।
- धनंजय मुंडे: 17 एकड़ के प्लॉट से संबंधित एक विवादित मामले में इनकी जांच चल रही है।
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भाजपा मंत्री को मिली राहत
भाजपा के मंत्री गिरीश महाजन को सीबीआई से क्लीन चिट मिल चुकी है। उन पर अपहरण और जबरन वसूली जैसे आरोप लगे थे, लेकिन सीबीआई जांच के बाद उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया।
विभागों का आवंटन जल्द
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद घोषणा की कि अगले दो दिनों में विभागों का बंटवारा किया जाएगा।
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आलोचना और चुनौतियां
इस विस्तार पर सवाल उठ रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मामलों में जांच के घेरे में आने वाले नेताओं को मंत्रिमंडल में क्यों शामिल किया गया। विपक्ष ने इसे नैतिकता और पारदर्शिता के लिए चुनौती बताया है।
सरकार के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन मंत्रियों के खिलाफ चल रही जांचें किस दिशा में जाती हैं और यह उनकी कार्यशैली और शासन पर क्या प्रभाव डालती हैं।
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