आओ साथ में ले गंगासागर महातीर्थ का अनुभव ,जो आत्मा को शांति और पवित्रता प्रदान करता है।
We News 24 Hindi / दीपक कुमार
गंगासागर, हिंदुओं के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक। यह स्थान पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित है और सुंदरवन का हिस्सा है। गंगासागर वह जगह है जहाँ गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। इस स्थान की धार्मिक और पौराणिक महत्ता इतनी अधिक है कि इसे "महातीर्थ" के नाम से जाना जाता है।
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गंगासागर का महत्व
- सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार
यह कहावत गंगासागर की पवित्रता और महत्त्व को दर्शाती है। - मकर संक्रांति पर विशेष स्नान
- गंगासागर में मकर संक्रांति के दिन स्नान करने का विशेष महत्व है।
- मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1,000 गाय दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
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गंगासागर मेला
- तारीखें:
- हर साल मकर संक्रांति के दौरान यह मेला आयोजित होता है।
- 2025 में गंगासागर मेला 10 जनवरी से 18 जनवरी तक आयोजित होगा।
- यह मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो संगम पर पवित्र स्नान के लिए यहाँ आते हैं।
पौराणिक कथाएँ और कपिल मुनि मंदिर
- कपिल मुनि मंदिर गंगासागर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
- यह मंदिर 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था।
- कपिल मुनि, ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कर्दम और मनु और शतरूपा की पुत्री देवहुति के बेटे थे.
- कपिल मुनि के क्रोध से सुर्य वंशी राजा सगर के साठ हज़ार पुत्र जलकर भस्म हो गए थे
गंगासागर की पौराणिक कथा
ऐसा ही माना जाता है कि राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों की मृत्यु कपिल मुनि के श्राप के कारण ही हुई थी .
राजा सगर की दो रानियां थीं, केशिनी और सुमति. दोनों रानियों को लंबे समय तक संतान नहीं हुई, इसलिए राजा सगर हिमालय पर्वत पर तपस्या करने लगे.
ब्रह्मा के पुत्र महर्षि भृगु ने राजा सगर को वरदान दिया कि एक रानी को 60 हज़ार पुत्र और दूसरी रानी को एक वंशधर पुत्र होगा.
जब सारे पुत्र युवा हो गए, तो राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया.
उन्होंने अपने पुत्रों को अश्वमेध के घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त किया.
देवराज इंद्र ने घोड़े को छल से कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया.
जब सागर पुत्रों को घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में बंधा हुआ दिखा, तो उन्होंने क्रोधित होकर मुनि को युद्ध के लिए ललकारा.
तपस्या में बैठे कपिल मुनि ने आंखें खोलीं, तो उनसे ज्वाला निकली और सभी सागर पुत्र भस्म हो गए.
राजा सगर ने अपने पुत्रों के उद्धार के लिए तपस्या की, लेकिन सफल नहीं हुए
कपिल मुनि के शाप से भस्म हुए राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों के उद्धार के लिए भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए घोर तपस्या की थी. गंगा की कृपा से भगीरथ के प्रयास सफल हुए और
माता गंगा, भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी पर पहुँचीं, तो वे भागीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुँचीं। और राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान कियाऔ इसके बाद गंगा सागर में विलीन हो गईं गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए भगीरथ के प्रयासों को 'भागीरथी प्रयास' कहा जाता है.
गंगासागर में पूजा और अनुष्ठान
- श्रद्धालु स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य अर्पित करते हैं।
- नारियल, यज्ञोपवीत और पूजा सामग्री समुद्र को अर्पित की जाती है।
- यहाँ पिंडदान और तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
गंगा जी का मंत्र
गंगासागर तक कैसे पहुँचें?
- काकद्वीप या नामखाना:
- यहाँ से फेरी सेवा के माध्यम से गंगासागर पहुँचा जा सकता है।
- काकद्वीप और नामखाना कोलकाता से क्रमशः 92 किमी और 104 किमी की दूरी पर हैं।
- यात्रा मार्ग:
- रेल मार्ग: काकद्वीप और नामखाना तक रेल सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: कोलकाता से बस और टैक्सी द्वारा यहाँ तक पहुँचा जा सकता है।
गंगासागर: महातीर्थ का अनुभव
गंगासागर की यात्रा केवल एक तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि यह आत्मा को नई ऊर्जा और शांति प्रदान करने का माध्यम है। यहाँ का हर दृश्य, गंगा और सागर के संगम की लहरें, श्रद्धालुओं की भीड़, और पवित्र मंत्रोच्चार, आपको आध्यात्मिकता और शांति से भर देता है।
तो यह था गंगासागर का संक्षिप्त परिचय। जुड़े रहिए वी न्यूज 24 के साथ! हम आपके लिए लाते रहेंगे ऐसे ही धार्मिक और रोचक स्थलों की जानकारी।तो, हमारे यूट्यूब चैनल को लाइक करें, सब्सक्राइब करें, और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। साथ ही, बेल आइकन दबाना ना भूलें ताकि आपको हमारे हर नए वीडियो की नोटिफिकेशन सबसे पहले मिले।
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