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गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

अब क्या होगा पाकिस्तान का ? बॉर्डर पर 15 हजार तालिबान लड़ाके तैनात

अब क्या होगा पाकिस्तान का ? बॉर्डर पर 15 हजार तालिबान लड़ाके तैनात







We News 24 Hindi / दीपक कुमार 


नई दिल्ली :- अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव दोनों देशों और पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। मौजूदा स्थिति में पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक और उसके जवाब में अफगान तालिबान की तैयारी ने हालात को और जटिल बना दिया है। 


दो देशों के बीच कभी भी बड़ी जंग देखने को मिल सकती है. यह देश हैं अफगानिस्तान और पाकिस्तान. दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. बुधवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा पर बड़ी कार्रवाई की. सीमा पर एयर स्ट्राइक की गई. इसमें कई महिलाएं और बच्चे मारे गए. इस हमले को लेकर अफगानिस्तान आगबबूला है.



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तनाव का कारण

  1. टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान): वजीरिस्तान में टीटीपी के हमले में 30 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में एयरस्ट्राइक की।
  2. अफगान तालिबान की प्रतिक्रिया: तालिबान ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए बदला लेने की ठानी और 15,000 लड़ाकों को सीमा पर भेजा।


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स्थिति का असर

  • पाकिस्तान की आंतरिक चुनौतियां:
    पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट, बलूचिस्तान में अलगाववाद और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है।
  • अफगानिस्तान का मजबूत सैन्य इतिहास:
    अफगान तालिबान का गोरिल्ला युद्ध में लंबा अनुभव है। अमेरिका और रूस जैसे देशों को हराने वाले तालिबान से लड़ना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा।
  • क्षेत्रीय अस्थिरता:
    इस संघर्ष का असर पूरे मिडिल ईस्ट और दक्षिण एशिया में महसूस किया जा सकता है। क्षेत्रीय ताकतें भी इसमें शामिल हो सकती हैं, जिससे हालात और बिगड़ेंगे।


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आगे क्या हो सकता है?

  • सीमावर्ती संघर्ष बढ़ सकता है:
    सीमा पर तनावपूर्ण माहौल युद्ध का रूप ले सकता है, जिससे दोनों देशों को भारी नुकसान होगा।
  • राजनयिक हस्तक्षेप की जरूरत:
    इस स्थिति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और पड़ोसी देश, तनाव कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
  • पाकिस्तान के लिए चुनौती:
    पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और सैन्य तैयारी इस तनाव को लंबे समय तक झेलने में सक्षम नहीं है।

निष्कर्ष

इस बढ़ते तनाव का समाधान राजनयिक वार्ता और आपसी समझ से ही संभव है। दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि वे संघर्ष को और बढ़ाने के बजाय शांति की दिशा में कदम उठाएं। 

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