We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र /कविता चौधरी
नई दिल्ली :- बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। बांग्लादेश सरकार ने आज भारत को एक राजनयिक पत्र लिख हसीना को ढाका वापस भेजने को कहा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और वहां की मौजूदा अंतरिम सरकार के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव और विवाद को दर्शाती है। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है,
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जिसमें उन पर मानवाधिकार हनन और नरसंहार जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शेख हसीना और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के खिलाफ आईसीटी ने वारंट जारी किया है। उन पर मानवाधिकार उल्लंघन और हिंसा में शामिल होने के आरोप हैं। हसीना बांग्लादेश छोड़कर 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं। यह कदम उन्होंने बांग्लादेश में छात्रों और श्रमिकों के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शन और अपनी सरकार गिरने के बाद उठाया। बांग्लादेश सरकार ने भारत को एक राजनयिक पत्र लिखकर शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है। अंतरिम सरकार के सलाहकारों का कहना है कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, जिससे हसीना को वापस लाने में मदद मिल सकती है।
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मुख्य सलाहकार यूनुस का बयान:
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा कि हर हत्या का न्याय होगा। उन्होंने दावा किया कि हसीना सरकार के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान 1500 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 19,931 घायल हुए।
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भारत की भूमिका:
बांग्लादेश सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर भारत संधि के किसी प्रावधान का हवाला देकर प्रत्यर्पण से इनकार करता है, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
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राजनीतिक और कूटनीतिक परिदृश्य:
यह मामला भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है। प्रत्यर्पण संधि के बावजूद, भारत को निर्णय लेते समय शेख हसीना की सुरक्षा और इस मुद्दे के राजनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। यह प्रकरण दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों और क्षेत्रीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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