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शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

बाबा बैद्यनाथ धाम: शिव और शक्ति का दिव्य और अनोखा संगम जहां गिरा था मां का हृदय

बाबा बैद्यनाथ धाम: शिव और शक्ति का दिव्य और अनोखा संगम जहां गिरा था मां का हृदय






We News 24 Hindi / दीपक कुमार 


नमस्कार! आप देख रहे हैं वी न्यूज 24, और मैं हूँ दीपक कुमार।

आज हम आपको लेकर चलेंगे झारखंड की प्रसिद्ध आध्यात्मिक नगरी देवघर, जो अपने आप में आस्था, भक्ति और भारतीय संस्कृति का अनमोल खजाना है। यहाँ स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह धाम शिव और शक्ति के अद्वितीय संगम के लिए जाना जाता है।




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देवघर का नाम ही दर्शाता है कि यह "देवताओं का घर" है। यहाँ हर साल लाखों भक्त देश और दुनिया से आते हैं, खासकर श्रावण महीने में, जब यह स्थान भक्ति और उत्साह से भर जाता है।  यहाँ का मुख्य आकर्षण है, जो अपनी प्राचीनता और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है।


यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह लिंग प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ है।और इसमें रोगों को दूर करने की अद्भुत शक्ति है। शिव को "बैद्यनाथ" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "चिकित्सकों का भगवान," क्योंकि यह शिवलिंग उपचार और कल्याण का प्रतीक है।


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सती ने यज्ञ कुंड में आत्मदाह किया, तो उनका हृदय देवघर में गिरा। यह स्थान देवी जया दुर्गा को समर्पित है और इसे "हृदय पीठ" भी कहा जाता है।यहाँ देवी पार्वती के रूप जया दुर्गा की पूजा की जाती है। यह स्थान शिव और सती की प्रेम कथा और उनके त्याग और बलिदान की स्मृति में एक अत्यंत पूजनीय स्थल है।




भक्त कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा नदी से जल भरकर देवघर तक नंगे पांव यात्रा करते हैं।यह पवित्र जल भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। यह यात्रा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रतीकात्मक कार्य है।



श्रावण महीने में आयोजित श्रावणी मेला देवघर का सबसे बड़ा उत्सव है। लाखों कांवड़िए हर साल यहाँ आते हैं और पूरा शहर भक्ति और श्रद्धा से गूंज उठता है। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जिससे वातावरण दिव्यता से भर जाता है।



बाबा बैद्यनाथ धाम का मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। गर्भगृह में स्थित शिवलिंग के दर्शन और स्पर्श से भक्तों को अपार शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है।मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी हैं, जो इसकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं।


बैद्यनाथ मंदिर के आसपास घूमने लायक जगहें

बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन के बाद, देवघर और उसके आसपास कई अन्य स्थल हैं जो धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं। यहाँ उन प्रमुख स्थानों का विवरण दिया गया है:1



. नौलखा मंदिर

  • दूरी: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से 1.5 किमी।
  • मुख्य आकर्षण:
    • 146 फीट ऊँचा यह मंदिर राधा-कृष्ण को समर्पित है।
    • यह मंदिर अपनी वास्तुकला में बेलूर मठ के रामकृष्ण मंदिर से मिलता-जुलता है।
    • इसका नाम “नौलखा” इसलिए पड़ा क्योंकि इसके निर्माण में 9 लाख रुपए खर्च हुए थे।
    • इसे रानी चारुशीला ने संत बालानंद ब्रह्मचारी के निर्देश पर बनवाया था।
  • विशेष: यह एक शांत और भव्य स्थान है, जहाँ दर्शन करने से मन को शांति मिलती है।

  • 2- बासुकीनाथ मंदिर
  • दूरी: देवघर से लगभग 43 किमी (देवघर-दुमका मार्ग पर)।
  • मुख्य आकर्षण:
    • भगवान शिव और माँ पार्वती के मंदिर एक-दूसरे के सामने स्थित हैं।
    • मंदिर के कपाट शाम को खोले जाते हैं, और माना जाता है कि उस समय शिव और पार्वती का मिलन होता है।
    • श्रावण मास में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।
  • अनुभव: यह स्थान भक्ति और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है।




3. नंदन पहाड़

  • दूरी: देवघर के केंद्र से कुछ ही दूरी पर।
  • मुख्य आकर्षण:
    • मनोरंजन पार्क, बोटिंग और जॉय राइड की सुविधाएँ।
    • पहाड़ी पर स्थित नंदी मंदिर।
    • सूर्यास्त का शानदार नजारा।
  • विशेष: यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। परिवार और बच्चों के लिए यह एक आदर्श स्थान है।



4. त्रिकुट पर्वत

  • दूरी: देवघर से 10 किमी।
  • मुख्य आकर्षण:
    • 2,470 फीट ऊँचा पर्वत, जिसमें तीन चोटियाँ हैं।
    • रोपवे के माध्यम से पहाड़ी की चोटी तक पहुँचा जा सकता है।
    • पहाड़ी के दाईं ओर एक छोटा मंदिर, जहाँ देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
  • विशेष: यह स्थान एडवेंचर और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श है।




5. तपोवन

  • दूरी: देवघर से 10 किमी।
  • मुख्य आकर्षण:
    • तपोनाथ महादेव मंदिर, जो तीर्थयात्रियों का मुख्य आकर्षण है।
    • यहाँ की गुफाओं में ऋषि वाल्मीकि ने तपस्या की थी।
    • गुफाओं में शिवलिंग स्थापित है।
  • विशेष: शांत वातावरण और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थान ध्यान और आत्मिक शांति के लिए उपयुक्त है।

इन स्थलों का अनुभव:
देवघर और उसके आसपास की ये जगहें धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति और संस्कृति के मेल का बेहतरीन उदाहरण हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन के बाद इन स्थलों की यात्रा आपको एक संपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करेगी।


देवघर की यात्रा कैसे करें?

निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडीह है, जो देवघर से केवल 7 किमी दूर है।

देवघर तक कई प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।

निकटतम हवाई अड्डा देवघर एयरपोर्ट है, जो देश के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है।


बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह एक आत्मिक यात्रा भी है। यह स्थान शिव और शक्ति की कृपा और भारतीय संस्कृति की गहराई को समझने का अवसर प्रदान करता है। यदि आप आस्था और आत्मिक शांति की तलाश में हैं, तो देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा अवश्य करें। 

तो यह था झारखंड के देवघर और बाबा बैद्यनाथ धाम का परिचय।
हम आपके लिए ऐसे ही रोचक और आध्यात्मिक स्थलों की जानकारी लाते रहेंगे। जुड़े रहिए वी न्यूज 24 के साथ।
नमस्कार!






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