UCC लागू करने वाला उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य, आइए जानें उत्तराखंड में किन चीजों पर लगी रोक
We News 24 Hindi / उर्विदत गैरोला
देहरादून :- उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू कर दिया है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के हर नागरिक के लिए समान नागरिक कानूनों को सुनिश्चित करता है, भले ही वह किसी भी धर्म, जाति, या समुदाय से संबंधित हो। इस कदम का उद्देश्य समानता, निष्पक्षता और पारदर्शिता लाना है। आइए विस्तार से जानते हैं कि UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में क्या बदलाव हुए हैं और किन प्रथाओं पर रोक लगाई गई है:
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UCC के तहत बदलाव और नई व्यवस्थाएं:
1. शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
- अब हर शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है।
- 6 महीने के भीतर शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा।
- 27 मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों को भी रजिस्टर करवाना होगा।
- यह प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिससे लोगों को सरकारी दफ्तरों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
2. लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए माता-पिता की अनुमति जरूरी होगी।
- कपल्स को रजिस्ट्रार के सामने अपने संबंध की घोषणा करनी होगी।
- लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करने पर रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा।
- लिव-इन में जन्मे बच्चों को वैध माना जाएगा और उन्हें संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
- बिना रजिस्ट्रेशन के एक महीने से ज्यादा लिव-इन में रहने पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
3. संपत्ति में बराबर अधिकार
- बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं होगा।
- बेटी और बेटे को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप या अन्य तरीकों से जन्मे बच्चों को भी बराबर का अधिकार मिलेगा।
4. माता-पिता को भी अधिकार
- किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार होगा।
- संपत्ति के बंटवारे में अब किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
5. हलाला और बहुविवाह पर रोक
- हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाएं अब उत्तराखंड में अवैध मानी जाएंगी।
- एक बार में तीन तलाक (Triple Talaq) जैसी प्रथाओं को भी रोका गया है।
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6. शादी की न्यूनतम आयु
- हर धर्म में शादी की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल अनिवार्य कर दी गई है।
- अब मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी 18 साल से पहले नहीं हो सकेगा।
7. संपत्ति की वसीयत की छूट
- अब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति की पूरी वसीयत कर सकता है।
- पहले मुस्लिम, ईसाई, और पारसी समुदाय के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जिन्हें अब समान कर दिया गया है।
8. तलाक का रजिस्ट्रेशन
- अब शादी की तरह तलाक का भी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
- यह प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होगी।
9. बच्चा गोद लेने पर नियम
- हर धर्म के लोग बच्चों को गोद ले सकते हैं।
- लेकिन दूसरे धर्म के बच्चों को गोद लेना अब मना है।
UCC से बाहर कौन?
- उत्तराखंड में अनुसूचित जनजातियों को UCC के दायरे से बाहर रखा गया है।
- ऐसा इसलिए किया गया है ताकि उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित किया जा सके।
- ट्रांसजेंडर समुदाय की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल
उत्तराखंड सरकार ने शादियों और लिव-इन रिलेशनशिप के लिए एक खास पोर्टल लॉन्च किया है: ucc.uk.gov.in।
- यहां महज ₹500 के शुल्क में रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है।
UCC लागू होने के फायदे
- समानता का अधिकार: सभी धर्मों और समुदायों में समान कानून लागू होने से भेदभाव समाप्त होगा।
- महिला सशक्तिकरण: बेटियों और महिलाओं को समान संपत्ति अधिकार और तलाक में कानूनी सुरक्षा मिलेगी।
- सरल और पारदर्शी प्रक्रियाएं: शादी, तलाक, और लिव-इन रिलेशनशिप की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन और सरल होगी।
- अवैध प्रथाओं पर रोक: बहुविवाह, हलाला, और अन्य कुप्रथाओं को अवैध कर दिया गया है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड का यह कदम देश में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की दिशा में एक बड़ा उदाहरण है। इससे समाज में समानता, महिला अधिकार, और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
आप इस ऐतिहासिक कदम पर क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें जरूर बताएं।
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