सरकार बनने से पहले दिल्ली में यमुना को लेकर बड़ा एक्शन ,आन वाले दिनों में यमुना नहीं रहेगी मैली
We News 24 Hindi / एडिटर दीपक कुमार
नईं दिल्ली :- दिल्ली की जनता लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं, सड़कों की स्थिति, नालों की सफाई और यमुना नदी की स्वच्छता को लेकर चिंतित रही है। यमुना की सफाई और दिल्ली की बुनियादी सुविधाओं में सुधार एक बड़ी चुनौती रही है। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक बदलाव से कुछ अच्छा होने वाला है लगता है दिल्ली का भला होगा ।अभी तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी भी नहीं है और यमुना की सफाई शुरू हो गयी .
दिल्ली में यमुना नदी की सफाई और उसके कायाकल्प के प्रयासों को लेकर हाल ही में कुछ सकारात्मक घटनाक्रम देखने को मिले हैं। यमुना नदी, जो दिल्ली की जीवनरेखा मानी जाती है, पिछले कई दशकों से प्रदूषण और उपेक्षा का शिकार रही है। लेकिन अब इस स्थिति को बदलने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
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यमुना मैया आरती: यमुना नदी के प्रति लोगों की आस्था और जागरूकता बढ़ाने के लिए यमुना मैया आरती का आयोजन किया गया। इस आरती का उद्देश्य न केवल धार्मिक भावनाओं को जगाना था, बल्कि यमुना की सफाई और संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित करना भी था।
यमुना की सफाई का काम शुरू: दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने यमुना नदी की सफाई के काम को तेजी से शुरू करवाया है। इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग) नवीन चौधरी को नियुक्त किया गया है। चौधरी ने आईटीओ छठ घाट पर जाकर मशीनों के माध्यम से यमुना से कूड़ा-कचरा साफ करने के कार्य की जानकारी ली और इस प्रक्रिया की निगरानी की।
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तीन साल में सफाई का लक्ष्य: नवीन चौधरी ने कहा कि हर हाल में तीन साल के भीतर यमुना नदी की सफाई पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस कार्य में सभी की भागीदारी जरूरी है। यह सिर्फ सरकार का काम नहीं है, बल्कि आम नागरिकों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
यमुना की दुर्दशा: यमुना नदी दिल्ली में प्रवेश करने के बाद से ही प्रदूषित हो जाती है। शहर के औद्योगिक और घरेलू कचरे का नदी में बहाव, नालों का गंदा पानी और अन्य प्रदूषक तत्वों के कारण यमुना की हालत बेहद खराब हो गई है। इसके बावजूद, अगर सही योजना और कड़े नियमों के साथ काम किया जाए, तो यमुना को फिर से स्वच्छ और जीवंत बनाया जा सकता है।
सामूहिक प्रयास की आवश्यकता: यमुना की सफाई केवल सरकारी प्रयासों से ही संभव नहीं है। इसमें आम जनता की भागीदारी, जागरूकता और सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को यह समझना होगा कि नदी के प्रदूषण में उनकी भी भूमिका है और उन्हें इसे रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
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यमुना नदी की सफाई और उसके संरक्षण का काम न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि यह दिल्ली और आसपास के इलाकों के लोगों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो यह दिल्ली के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और यमुना नदी फिर से अपने पुराने वैभव को प्राप्त कर सकती है।
1. यमुना नदी का 57 किमी का हिस्सा साफ किया जाएगा
यमुना नदी का दिल्ली में फैला हुआ 57 किलोमीटर का हिस्सा, जो हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश की सीमा तक है, को पूरी तरह से साफ किया जाएगा।
इस पूरे हिस्से में नदी की सफाई, प्रदूषण नियंत्रण और पुनरुद्धार के लिए काम किया जाएगा।
2. तीन-चार मुख्य कार्यक्षेत्र
चौधरी ने बताया कि यमुना नदी को साफ करने के लिए निम्नलिखित तीन-चार मुख्य कार्यक्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
कचरा और खरपतवार हटाना: नदी से ठोस कचरा, जलकुंभी और खरपतवार को हटाने के लिए सात मशीनें लगाई गई हैं। यह काम अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगा।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उन्नयन: अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह को रोकने के लिए सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को पूरी तरह से कार्यात्मक बनाया जाएगा।
औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन: औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्टों को नदी में जाने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
3. एसटीपी का आधुनिकीकरण और निर्माण
लगभग एक दर्जन एसटीपी को आधुनिक बनाया जाएगा और उन्हें फिर से चालू किया जाएगा।
2026 के अंत तक छह नए एसटीपी का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।
दिसंबर 2026 तक सभी एसटीपी पूरी तरह से कार्यात्मक हो जाएंगे। इसके बाद यदि यमुना में अनुपचारित सीवेज पाया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
4. औद्योगिक अपशिष्टों पर नियंत्रण
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्टों को नदी में जाने से रोकने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और उद्योग विभाग मिलकर काम करेंगे।
यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद कर दिया जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) को ठीक से काम करने के लिए सुनिश्चित किया जाएगा।
5. जन जागरूकता और अपशिष्ट प्रबंधन
लोगों को मूर्तियों, कैलेंडर और अन्य वस्तुओं को नदी में फेंकने से रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
ऐसे स्थान बनाए जाएंगे, जहां लोग इन वस्तुओं को सम्मानपूर्वक विसर्जित कर सकें। इन वस्तुओं को बाद में उचित तरीके से निपटाया जाएगा।
6. 28-30 बड़े नालों पर नियंत्रण
करीब 28 से 30 बड़े नाले यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट जल डालते हैं। इन नालों को नियंत्रित करने और उनके प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे।
7. सख्त कार्रवाई की चेतावनी
चौधरी ने स्पष्ट किया कि यदि दिसंबर 2026 तक सभी एसटीपी पूरी तरह से कार्यात्मक हो जाने के बाद भी यमुना में अनुपचारित सीवेज या औद्योगिक अपशिष्ट पाए जाते हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
यमुना नदी की सफाई और उसके पुनरुद्धार के लिए शुरू किए गए ये प्रयास न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि दिल्ली और आसपास के इलाकों के लोगों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि यह योजना सफल होती है, तो यमुना नदी फिर से अपने पुराने वैभव को प्राप्त कर सकती है और दिल्ली के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण कर सकती है। हालांकि, इसके लिए सरकार, नागरिकों और अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी और सहयोग आवश्यक है।
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