दिल्ली विधानसभा सत्र का दूसरा दिन : कैग रिपोर्ट का देशव्यापी असर | आप सरकार के खिलाफ भाजपा की रणनीति
नई दिल्ली :- दिल्ली विधानसभा सत्र का दूसरा दिन महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा तैयार की गई 14 रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की जाएँगी। इन रिपोर्टों में शामिल विषयों जैसे आबकारी नीति, यमुना और वायु प्रदूषण, और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर। बीजेपी का आरोप है कि पिछली सरकार ने जानबूझकर इन रिपोर्टों को रोक कर भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास किया है।
रिपोर्ट्स को पेश करने से पहले उपराज्यपाल का अभिभाषण होगा। इस मामले में बीजेपी काफी आक्रामक रुख अपना रही है और पिछली सरकार पर इन रिपोर्ट्स को जानबूझकर रोकने का आरोप लगा रही है।
रिपोर्ट्स में शामिल मुख्य मुद्दे:
आबकारी नीति: शराब विनियमन और आबकारी नीति से जुड़े मामले।
मुख्यमंत्री आवास का पुनर्निमाण: 6-फ्लैग स्टाफ रोड पर सीएम आवास के जीर्णोद्धार से संबंधित अनियमितताएं। इस परियोजना की लागत 7.61 करोड़ रुपये से बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई, जो मंजूरी राशि से 342% अधिक है।
यमुना और वायु प्रदूषण: यमुना नदी के प्रदूषण और वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़े मुद्दे।
दिल्ली परिवहन निगम (DTC): DTC के कामकाज की समीक्षा।
सार्वजनिक स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा: राज्य के वित्त और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे।
बीजेपी का आरोप:
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि पिछली सरकार ने इन रिपोर्ट्स को जानबूझकर रोककर भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन को छिपाने की कोशिश की। बीजेपी नेता शीशमहल के नाम से जाने जाने वाले मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निमाण को लेकर भी सवाल उठाए हैं। बीजेपी ने इस मामले को कोर्ट तक ले जाकर रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग की थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
बीजेपी: पार्टी ने पिछली सरकार पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को छिपाने का आरोप लगाया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभाओं में इन रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने का वादा किया था।
आम आदमी पार्टी (AAP): दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि नई सरकार के पहले सत्र में सभी रिपोर्ट्स सार्वजनिक कर दी जाएंगी। AAP ने बीजेपी के आरोपों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास बताया है।
CAG की ये रिपोर्ट्स दिल्ली सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन रिपोर्ट्स के सार्वजनिक होने से पिछली सरकार के कामकाज पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। बीजेपी और AAP के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस होने की संभावना है।
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