वक्फ बिल पर राजनीतिक बहस तेज, निर्मला सीतारमण ने कहा वक्फ बिल पर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है
We News 24 Hindi / काजल कुमारी
नई दिल्ली:- वक्फ बिल को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखे तर्क-वितर्क हुए हैं। यह मुद्दा संसद में पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल को लेकर है, जिसे विपक्ष ने लोकतंत्र विरोधी बताया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पक्ष:
निर्मला सीतारमण ने कहा कि वक्फ बिल से जुड़े नियम बहुत साफ हैं और इसे लेकर किसी तरह का भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का पक्ष:
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बिल की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इसमें विपक्ष की आपत्तियों और असहमति नोट को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र विरोधी करार दिया और कहा कि यह बिल संसदीय प्रक्रिया की अवहेलना करता है। खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस बिल को बिना उचित चर्चा और सहमति के पास कराने की कोशिश की है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
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वक्फ बिल का मुद्दा:
वक्फ बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को मजबूत करना है। वक्फ संपत्तियां धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए दान की गई जमीन और संपत्तियां होती हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल से इन संपत्तियों के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा और उनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। हालांकि, विपक्ष का मानना है कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है और इसे लेकर उनकी आशंकाएं
हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। जहां सरकार इस बिल को जरूरी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र विरोधी और अल्पसंख्यक विरोधी करार दे रहा है। यह मुद्दा संसद में और सार्वजनिक मंचों पर गर्म बहस का विषय बना हुआ है।
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निष्कर्ष:
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