यूजीसी मसौदा भर्ती पर लोकसभा में उठा विरोध, विपक्षी सांसदों ने इसे वापस लेने की मांग की
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We News 24 Hindi / विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली, 11 फरवरी 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार किए गए मसौदा भर्ती नियमों का मुद्दा मंगलवार को लोकसभा में उठा। विपक्षी सांसदों, विशेषकर दो महिला सदस्यों ने इन नियमों का विरोध करते हुए सरकार से इन्हें वापस लेने की मांग की।
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विपक्ष का विरोध
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सदस्य महुआ मोइत्रा और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सदस्य टी. सुमति ने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया।
उन्होंने कहा कि यूजीसी के मसौदा नियम शैक्षणिक स्वायत्तता और शिक्षकों के अधिकारों को प्रभावित करते हैं।
विपक्षी सदस्यों ने इन नियमों को असंवैधानिक और शिक्षा के व्यावसायीकरण की दिशा में एक कदम बताया।
यूजीसी के मसौदा नियमों पर चिंता
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यूजीसी के नए मसौदा नियम शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करते हैं, जिससे उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता और स्वायत्तता को खतरा हो सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ये नियम केंद्रीकरण को बढ़ावा देते हैं और राज्यों तथा विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं।
सरकार से मांग
विपक्षी सदस्यों ने सरकार से इन मसौदा नियमों को तत्काल वापस लेने की मांग की।
उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में किसी भी बदलाव से पहले सभी हितधारकों, विशेषकर शिक्षकों और छात्रों, से व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
पृष्ठभूमि
यूजीसी ने हाल ही में उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति से संबंधित नए मसौदा नियम जारी किए हैं।
इन नियमों को लेकर शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये नियम शिक्षकों की नौकरियों और शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिए खतरनाक हैं।
आगे की कार्रवाई
इस मुद्दे पर संसद में और चर्चा होने की उम्मीद है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाने की योजना बनाई है।
शिक्षक संगठन और छात्र संगठन भी इन नियमों के खिलाफ प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।
निष्कर्ष
यूजीसी के मसौदा नियमों को लेकर विपक्ष का विरोध जारी है। विपक्षी सदस्यों ने सरकार से इन नियमों को वापस लेने और शिक्षा क्षेत्र में सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करने की मांग की है। यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक और शैक्षणिक बहस का केंद्र बना रह सकता है।
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