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We News 24 Hindi / अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- मोरक्को के किंग मोहम्मद VI ने इस साल ईद उल-अजहा (बकरीद) पर कुर्बानी न करने की अपील की है। यह फैसला देश में मवेशियों की भारी कमी और सात वर्षों से जारी सूखे की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। मोरक्को एक इस्लामिक राष्ट्र है, और ईद उल-अजहा पर कुर्बानी करना इस्लाम की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। हालांकि, इस साल की परिस्थितियों ने किंग को यह अपील करने के लिए मजबूर किया है।
मुख्य बिंदु:
मवेशियों की कमी:
मोरक्को में भेड़ों की आबादी पिछले दशक में 38% तक घट गई है।
इस साल बारिश औसत से 53% कम हुई है, जिससे चारे की कमी हो गई है और मवेशियों की स्थिति खराब हो गई है।सूखे के कारण मांस उत्पादन पर गंभीर असर पड़ा है, और कुर्बानी के लिए पर्याप्त जानवर उपलब्ध नहीं हैं।
किंग की अपील:
किंग मोहम्मद VI ने जनता से कुर्बानी की परंपरा को इस साल न निभाने की अपील की है।यह फैसला मवेशियों की कमी और आर्थिक स्थिति को संतुलित करने के लिए लिया गया है।
ऑस्ट्रेलिया से भेड़ों का आयात:
मांस की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मोरक्को सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से एक लाख भेड़ों के आयात की डील की है।सरकार ने मवेशियों (भेड़, ऊंट, और लाल मांस) पर आयात शुल्क और वैट हटा दिया है ताकि बाजार में मांस की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
यह पहली बार नहीं है जब मोरक्को में कुर्बानी को लेकर ऐसी अपील की गई हो। 1966 में किंग हसन-2 ने भी सूखे की स्थिति के कारण ऐसी ही अपील की थी।
सामाजिक और आर्थिक संतुलन:
विशेषज्ञों का मानना है कि किंग का यह फैसला सामाजिक और आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।इस अपील ने मोरक्को की सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को वैश्विक स्तर पर उजागर किया है।
निष्कर्ष:
किंग मोहम्मद VI की यह अपील मोरक्को की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए एक व्यावहारिक कदम है। यह फैसला न केवल मवेशियों की कमी और सूखे की समस्या को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस्लामिक परंपराओं के साथ-साथ पर्यावरणीय और आर्थिक संतुलन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और किंग की यह अपील इस दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
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