अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी की यात्रा को कैसे सम्मानित किया: जानिए प्रमुख बिंदु
We News 24 Hindi / एडिट दीपक कुमार
नई दिल्ली:- संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड . ट्रम्प ने 13 फरवरी, 2025 को वाशिंगटन डीसी में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आधिकारिक कार्यकारी यात्रा की मेजबानी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय अमेरिकी दौरा बेहद खास रहा। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने पहली बार पीएम मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने पीएम मोदी को एक खास तोहफा भेंट किया।
दरअसल, यह एक किताब है और इस किताब में ट्रंप और पीएम मोदी के साथ के सफर को दर्शाया गया है। ट्रंप ने पीएम मोदी को जो किताब तोहफे में दी उसका नाम है- आवर जर्नी टुगेदर। किताब में हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं। किताब पर दस्तखत करते हुए ट्रंप ने लिखा कि मिस्टर प्राइम मिनिस्टर यू आर ग्रेट। इसका मतलब है कि माननीय प्रधानमंत्री जी, आप महान हैं।
स्वतंत्रता, कानून के शासन, मानवाधिकारों और बहुलवाद को महत्व देने वाले संप्रभु और जीवंत लोकतंत्रों के प्रमुखों के रूप में, राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की क्षमता की पुष्टि की, जो आपसी विश्वास, साझा हितों, सद्भावना और अपने नागरिकों की मजबूत भागीदारी पर आधारित है।
आज, राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने सहयोग के प्रमुख स्तंभों में परिवर्तनकारी बदलाव लाने हेतु एक नई पहल "21वीं सदी के लिए यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना)" का शुभारंभ किया। इस पहल के अंतर्गत, उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के लिए विश्वास के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए इस वर्ष प्रारंभिक परिणामों के साथ परिणाम-संचालित एजेंडे के लिए प्रतिबद्धता जताई।
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यह संयुक्त वक्तव्य भारत और अमेरिका के बीच व्यापक और गहन साझेदारी को दर्शाता है, जो रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, नवाचार, और बहुपक्षीय सहयोग जैसे क्षेत्रों में नई ऊँचाइयों को छूने का प्रयास कर रहा है। यह वक्तव्य दोनों देशों के बीच मजबूत राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए इस वक्तव्य के प्रमुख बिंदुओं को समझते हैं:
1. रक्षा सहयोग:
21वीं सदी के लिए यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट: यह नई पहल रक्षा साझेदारी, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए शुरू की गई है।
रक्षा उपकरणों की खरीद और सह-उत्पादन: भारत ने अमेरिकी रक्षा उपकरणों जैसे सी-130जे, सी-17, पी-8आई, एमक्यू-9बी आदि की खरीद की है। अमेरिका भारत के साथ रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास को बढ़ावा देगा।
स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (एएसआईए): यह नई पहल स्वायत्त प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगी।
सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण: दोनों देशों ने वायु, भूमि, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस में सैन्य सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया है।
2. व्यापार और निवेश:
मिशन 500: 2030 तक भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य।
द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए): 2025 तक पहले चरण के समझौते पर बातचीत पूरी करने की योजना।
निवेश को बढ़ावा: भारतीय कंपनियों द्वारा अमेरिका में 7.35 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा।
3. ऊर्जा सुरक्षा:
तेल, गैस और परमाणु ऊर्जा: दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा और सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया है।
असैन्य परमाणु समझौता: अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए सहयोग बढ़ाया जाएगा।
रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार: ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक तेल भंडार का विस्तार किया जाएगा।
4. प्रौद्योगिकी और नवाचार:
यूएस-इंडिया ट्रस्ट पहल: रक्षा, एआई, अर्धचालक, क्वांटम, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
इंडस इनोवेशन: अंतरिक्ष, ऊर्जा और उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई पहल।
महत्वपूर्ण खनिजों का सहयोग: लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी जैसे खनिजों के अन्वेषण, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण में सहयोग।
5. अंतरिक्ष सहयोग:
नागरिक अंतरिक्ष सहयोग: 2025 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना।
एनआईएसएआर मिशन: पृथ्वी की सतह पर परिवर्तनों को मैप करने वाला संयुक्त मिशन।
6. बहुपक्षीय सहयोग:
क्वाड सहयोग: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्वाड साझेदारी को मजबूत करना।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: आतंकवादी समूहों जैसे अल-कायदा, आईएसआईएस, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करना।
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7. लोगों के बीच संबंध:
शैक्षणिक सहयोग: उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संयुक्त डिग्री कार्यक्रम और शोध सहयोग को बढ़ावा देना।
गतिशीलता ढांचा: छात्रों और पेशेवरों की कानूनी गतिशीलता को सुविधाजनक बनाना और अवैध आव्रजन को रोकना।
निष्कर्ष:
यह संयुक्त वक्तव्य भारत और अमेरिका के बीच सामरिक साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रयास है। दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने का संकल्प लिया है। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि में भी योगदान देगी।
इस वक्तव्य के माध्यम से भारत और अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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