हाइलाइट्स:
- सुनीता विलियम्स 9 महीने बाद धरती पर सुरक्षित लौटीं।
- स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ने फ्लोरिडा तट पर सफल लैंडिंग की।
- अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की जाएगी।
- सुनीता को पुनर्वास केंद्र में कुछ समय बिताना होगा।
- अंतरिक्ष में ग्रेविटी की अनुपस्थिति से हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए अंतरिक्ष यात्री रोजाना ढाई घंटे की कड़ी एक्सरसाइज करते हैं।
We News 24 Hindi / अमित मेहलावत
नई दिल्ली: 19 मार्च 2024। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 9 महीने बाद धरती पर सुरक्षित लौट आई हैं। स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल ने भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह लगभग 3:30 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा तट के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग की। लैंडिंग के बाद नासा और स्पेसएक्स के वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर इस सफलता का जश्न मनाया।
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सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बैरी विल्मोर को अब नासा के फ्लोरिडा स्थित लैब में ले जाया जाएगा, जहां उनकी पूरी तरह से जांच की जाएगी। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए सुनीता को कुछ समय पुनर्वास केंद्र में बिताना होगा। वैज्ञानिकों से क्लीयरेंस मिलने के बाद ही उनका परिवार से मिलना संभव होगा।
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अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ग्रेविटी की अनुपस्थिति में हड्डियों का घनत्व हर महीने लगभग 1 प्रतिशत कम हो जाता है, जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, मांसपेशियां, विशेषकर पैर और पीठ की, कमजोर हो जाती हैं। इन प्रभावों को कम करने के लिए अंतरिक्ष यात्री हर दिन ढाई घंटे की कड़ी एक्सरसाइज करते हैं, जिसमें वेट लिफ्टिंग, स्क्वाट्स और ट्रेडमिल पर दौड़ना शामिल है।
हालांकि, धरती पर लौटने के बाद सुनीता को सामान्य रूप से चलने और दौड़ने में कुछ समय लग सकता है। अंतरिक्ष में ग्रेविटी न होने के कारण शरीर के तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे चेहरा फूला हुआ दिखता है। कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को दृष्टि संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा, दिल की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है, जिससे रक्त संचार प्रणाली प्रभावित होती है और कमजोरी या चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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