मस्जिदों को करनी होगी कमाई का ऑडिट, वक्फ बोर्ड ने जारी किया आदेश
हाईलाइट्स:
- छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने 1223 मस्जिदों के लिए ऑडिट अनिवार्य किया।
- राज्य में 1800 से अधिक मस्जिदें, कई की महीने की कमाई ₹1.5 लाख से ज्यादा।
- तीन साल तक ऑडिट न कराने पर जिम्मेदारों को जेल की सजा का प्रावधान।
- वक्फ बोर्ड मस्जिदों की कमाई का 30% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करेगा।
- छह मौलवियों को चुनाव में पक्षपात के आरोप में हटाया गया।
We News 24 Hindi / मनोज चन्द्रवंशी
छत्तीसगढ़:- राज्य वक्फ बोर्ड ने राज्य में स्थित मस्जिदों की आय और व्यय के बारे में पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य में 1800 से अधिक छोटी-बड़ी मस्जिदें हैं, जिनकी आय काफी अधिक है। बड़ी मस्जिदों की मासिक आय लगभग डेढ़ लाख रुपये और वार्षिक आय 15 से 20 लाख रुपये तक होती है। इस आय के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के आय-व्यय का ऑडिट कराने का आदेश जारी किया है।
मुख्य बिंदु:
ऑडिट अनिवार्य:
राज्य वक्फ बोर्ड ने 1223 मस्जिदों के मौलानाओं को ऑडिट कराने का आदेश दिया है। अगर कोई मस्जिद तीन साल तक ऑडिट नहीं कराती है, तो जिम्मेदार व्यक्ति को जेल की सजा भी हो सकती है। ऑडिट का परीक्षण वक्फ बोर्ड की ओर से किया जाएगा।
पारदर्शिता का उद्देश्य:
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज के अनुसार, यह कदम मस्जिदों की आय और व्यय में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। मस्जिदों को अपनी आय का ब्योरा वक्फ बोर्ड के पोर्टल पर देना होगा।
शिक्षा पर खर्च:
वक्फ बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि मस्जिदों की आय का 30 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। इससे समाज के शैक्षणिक विकास में मदद मिलेगी।
मौलवियों पर कार्रवाई:
हाल ही में, वक्फ बोर्ड ने 6 मौलवियों को उनके पद से हटा दिया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान एक पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान की अपील की थी। इन मौलवियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्हें हटा दिया गया।
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मस्जिदों की आय का उपयोग:
बोर्ड का अनुमान है कि बड़ी मस्जिदों की मासिक आय डेढ़ लाख रुपये और वार्षिक आय 15 से 20 लाख रुपये तक होती है। इस आय का उपयोग समाज के विकास और शिक्षा के लिए किया जाएगा।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का यह कदम मस्जिदों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इससे न केवल मस्जिदों की आय का सही उपयोग होगा, बल्कि समाज के विकास में भी योगदान मिलेगा। साथ ही, इससे धार्मिक संस्थानों में अनुशासन और नियमों का पालन सुनिश्चित होगा।
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