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सोमवार, 3 मार्च 2025

दिल्ली में बढ़ता ध्वनि प्रदूषण भी समस्या : करोल बाग सबसे शोरगुल वाला इलाका, शाहदरा दूसरे नंबर पर

 

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हाईलाइट्स:

दिल्ली में वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण भी गंभीर समस्या – करोल बाग सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका।

शाहदरा दूसरा सबसे शोरगुल वाला क्षेत्र – दिन और रात में तय मानकों से कई गुना अधिक ध्वनि स्तर।

डीपीसीसी की रिपोर्ट में खुलासा – करोल बाग में दिन में 82.8 डेसिबल, रात में 67.4 डेसिबल तक शोर।

शाहदरा में भी ध्वनि स्तर खतरनाक – दिन में 81.7 डेसिबल, रात में 75.2 डेसिबल तक पहुंचा शोर।







We News 24 Hindi / दीपक कुमार 

नई दिल्ली :- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, करोल बाग और शाहदरा जैसे व्यावसायिक इलाकों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से कहीं अधिक है। यह समस्या न केवल लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी पैदा कर रही है।


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करोल बाग और शाहदरा में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति:

करोल बाग: यह इलाका दिल्ली में सबसे अधिक शोरगुल वाला क्षेत्र है। DPCC के अनुसार, यहां दिन में ध्वनि का स्तर 82.8 डेसिबल और रात में 67.4 डेसिबल तक पहुंच गया है, जबकि निर्धारित सीमा दिन में 65 डेसिबल और रात में 55 डेसिबल है। रात के समय भी यहां शोर का स्तर 63.6 से 65.5 डेसिबल के बीच रहता है।


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शाहदरा: यह इलाका भी व्यावसायिक श्रेणी में आता है और यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में 81.7 डेसिबल और रात में 75.2 डेसिबल तक पहुंच गया है। यह भी निर्धारित मानकों से काफी अधिक है।


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रोहिणी सेक्टर-16 और पूसा जैसे इलाकों में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है। ये इलाके आवाज निषिद्ध क्षेत्र (साइलेंस जोन) और औद्योगिक क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं, लेकिन यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से कहीं अधिक है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति गंभीर है।


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रोहिणी सेक्टर-16 की स्थिति:

आवाज निषिद्ध क्षेत्र: रोहिणी सेक्टर-16 को साइलेंस जोन की श्रेणी में रखा गया है, जहां ध्वनि का स्तर दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए।


वास्तविक स्थिति: पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार, यहां ध्वनि का स्तर दिन में 71.8 डेसिबल और रात में 66.4 डेसिबल तक पहुंच गया है। यह निर्धारित मानकों से काफी अधिक है।


पूसा औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति:

औद्योगिक क्षेत्र: पूसा को औद्योगिक क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है, जहां ध्वनि का स्तर दिन में 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए।


वास्तविक स्थिति: DPCC के आंकड़ों के अनुसार, यहां भी ध्वनि प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से अधिक है। औद्योगिक गतिविधियों और यातायात के कारण यह समस्या और बढ़ गई है।


ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण:

यातायात जाम और हार्न का अत्यधिक उपयोग: दिल्ली में यातायात जाम एक आम समस्या है, जिसके कारण वाहन चालक लगातार हार्न बजाते हैं। यह ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख कारण है।


व्यावसायिक गतिविधियां: करोल बाग और शाहदरा जैसे इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां अधिक होने के कारण शोर का स्तर बढ़ जाता है।

निर्माण कार्य: शहर में हो रहे निर्माण कार्य भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।


ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव:

स्वास्थ्य समस्याएं: लगातार शोर के संपर्क में रहने से लोगों को सिरदर्द, तनाव, नींद की समस्या और सुनने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों की पढ़ाई पर असर: शोर के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और उनका ध्यान भटकता है।

मानसिक तनाव: लगातार शोर के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव बढ़ता है।


ध्वनि प्रदूषण के मानक:

DPCC ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए ध्वनि प्रदूषण के मानक निर्धारित किए हैं:


क्षेत्र                                      दिन (डेसिबल)       रात (डेसिबल)

साइलेंस जोन                              50          40

रिहायशी इलाके                              55          45

व्यावसायिक इलाके                      65          55

औद्योगिक इलाके                              75          70



समाधान के उपाय:

यातायात प्रबंधन: यातायात जाम को कम करने के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जानी चाहिए।

हार्न के उपयोग पर प्रतिबंध: हार्न के अत्यधिक उपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए।

जन जागरूकता: लोगों को ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए।

निर्माण कार्य का समय निर्धारण: निर्माण कार्य को रात के समय में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार और नागरिकों को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।




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