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    क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही? , नेपाल का बदकिस्मत महल नारायणहिती पैलेस का इतिहास फिर सुर्खियों में

    क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही? , नेपाल का बदकिस्मत महल नारायणहिती पैलेस का इतिहास फिर सुर्खियों में




    पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की हालिया वापसी के बाद नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है। समर्थकों ने ‘राजा चाहिए’ और ‘राजशाही बहाल करो’ के नारे लगाए।

     






    We News 24 Hindi / दीपक कुमार 

    नेपाल:- में एक बार फिर से राजशाही की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की हालिया वापसी के बाद उनके समर्थकों में उत्साह देखने को मिला। राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके आगमन के दौरान समर्थकों ने ‘राजा चाहिए’ और ‘राजशाही बहाल करो’ जैसे नारे लगाए। नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के बाद 2008 में राजशाही समाप्त कर दी गई थी, लेकिन अब यह मुद्दा फिर से गरमाने लगा है।

    https://www.wenews24.com/क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही?

    जिस राजतंत्र की बहाली की मांग नेपाल में जोर पकड़ रही है, उसका अंत बेहद भयावक और  खौफनाक था. आज हम बात नेपाल के उस राज महल की करेंगे, जो सालों तक राज परिवार का ठिकाना रहा.  वो  है  नारायणहिती पैलेस (Narayanhiti Palace) जिसका  इतिहास न केवल भव्यता और ऐश्वर्य से भरा है, बल्कि यह दुखद और रहस्यमय घटनाओं का भी गवाह रहा है। यह महल नेपाल के शाही परिवार का आधिकारिक निवास था और 250 सालों तक यहां राजशाही का शासन रहा। आइए, इस महल के इतिहास और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं पर एक नजर डालते हैं:


    नारायणहिती पैलेस का इतिहास:

    निर्माण और वास्तुकला:

    नारायणहिती पैलेस का निर्माण 1963 में राजा महेंद्र के आदेश पर करवाया गया था। यह महल 383,850 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और इसमें 52 कमरे हैं, जिन्हें नेपाल के 52 जिलों के नाम पर नामित किया गया है। महल का नाम "नारायणहिती" दो शब्दों से मिलकर बना है: "नारायण" (भगवान विष्णु) और "हिती" (पानी की टोंटी)। महल में आंगन, उद्यान और कई भव्य इमारतें हैं।


    नारायणहिती महल में सोने का एक रथhttps://www.wenews24.com/


    ऐश्वर्य और विरासत:

    महल में सोने का एक रथ है, जो ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II द्वारा राजा महेंद्र को उपहार में दिया गया था। इस रथ का पहली बार उपयोग 24 फरवरी 1975 को राजा बीरेंद्र के राज्याभिषेक के दौरान किया गया था। महल में सोने-चांदी की नक्काशी, बेशकीमती झूमर और अन्य कीमती सामान मौजूद हैं।


    https://www.wenews24.com/नेपाल के रॉयल क्राउन






    नेपाल के रॉयल क्राउन में 730 हीरे और 2000 से अधिक मोती जड़े हुए हैं, जो राजशाही की शक्ति और एकता का प्रतीक हैं।

    https://www.wenews24.com/नारायणहिती पैलेस में नेपाली शाही परिवार का एक भीषण नरसंहार




    दुखद घटनाएं:

    रॉयल मासाकर (2001):

    1 जून 2001 को नारायणहिती पैलेस में नेपाली शाही परिवार का एक भीषण नरसंहार हुआ। क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने राजा बीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या और शाही परिवार के नौ अन्य सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दीपेंद्र ने खुद को भी गोली मार ली। वह तीन दिनों तक कोमा में रहे और इस दौरान उन्हें नेपाल का राजा घोषित किया गया। हालांकि, उनकी मृत्यु के बाद, राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र को नेपाल का राजा बनाया गया।

    https://www.wenews24.com/नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही का अंत 2008 में हुआ


    राजशाही का अंत:

    ज्ञानेंद्र के शासनकाल में नेपाल में राजशाही स्थिर नहीं रही। नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही का अंत 2008 में हुआ था, जब देश को एक गणतंत्र घोषित किया गया। यह कदम माओवादी आंदोलन और जन आंदोलनों के बाद उठाया गया था और राजशाही का अंत हो गया। नारायणहिती पैलेस को एक संग्रहालय में बदल दिया गया, जहां आज भी शाही परिवार की विरासत और उनकी दुखद कहानी देखी जा सकती है।


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    वर्तमान स्थिति:

    राजशाही की वापसी की मांग:

    हाल के दिनों में नेपाल की राजधानी काठमांडू में हजारों लोग में राजशाही की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की वापसी के साथ ही राजशाही समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया है। लोगों ने "हमें अपना राजा वापस चाहिए" और "राजशाही को बहाल करो" जैसे नारे लगाए हैं। यह मांग नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की चुनौतियों के बीच उभरी है हालांकि, नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से राजशाही की वापसी की मांग एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है।


    राजशाही की वापसी की मांग नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की चुनौतियों को उजागर करती है


    निष्कर्ष:

    नारायणहिती पैलेस नेपाल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, लेकिन यह दुखद घटनाओं का भी गवाह रहा है। शाही परिवार के नरसंहार और राजशाही के अंत ने इस महल को एक रहस्यमय और दुखद इतिहास दिया है। आज यह महल एक संग्रहालय के रूप में पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जो नेपाल के शाही इतिहास की झलक प्रदान करता है। 

    नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग और नारायणहिती पैलेस का इतिहास एक बार फिर चर्चा में है। यह महल न केवल अपनी भव्यता के लिए, बल्कि यहां हुए दुखद घटनाक्रमों के लिए भी जाना जाता है। राजशाही की वापसी की मांग नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की चुनौतियों को उजागर करती है। भविष्य में यह मांग कितनी सफल होगी, यह नेपाल की जनता और राजनीतिक व्यवस्था पर निर्भर करेगा।

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