हाइलाइट्स:
- 46 साल बाद दिहुली नरसंहार मामले में तीन आरोपियों को मृत्युदंड।
- 18 नवंबर 1981 को 17 हथियारबंद डकैतों ने 24 दलितों की हत्या की थी।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी।
- अदालत के फैसले को पीड़ित परिवारों ने न्याय की जीत बताया।
- दोषियों के पास उच्च न्यायालय में अपील का विकल्प है।
We News 24 Hindi / अमित त्रिपाठी
दिहुली नरसंहार मामले में मैनपुरी कोर्ट ने तीन आरोपियों को मृत्युदंड सुनाया है। आरोपियों को 50 हजार रुपये का जुर्माना भी भरना होगा। यह मामला चार दशक पुराना है, जब 18 नवंबर 1981 को फिरोजाबाद जिले के दिहुली गांव में 17 हथियारबंद डकैतों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर 24 दलितों की हत्या कर दी थी। घटना के बाद स्थानीय निवासी लैइक सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस जांच में 17 डकैतों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें गिरोह के सरगना संतोष सिंह उर्फ संतोसा और राधेश्याम उर्फ राधे भी शामिल थे। इनमें से 13 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि एक अभी भी फरार है।
इस नरसंहार के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी, जबकि विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने दिहुली से फिरोजाबाद के सादुपुर तक पैदल यात्रा कर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की थी।
मैनपुरी कोर्ट के फैसले के बाद शासकीय अधिवक्ता रोहित शुक्ला ने कहा कि चार दशक बाद पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है, जो समाज को यह संदेश देता है कि कोई भी अपराधी कानून से नहीं बच सकता।
अब दोषियों के पास उच्च न्यायालय में अपील करने का विकल्प है। पीड़ित परिवारों ने अदालत के फैसले को न्याय की जीत बताया है।
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