एक 30-मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढह गई, जिसमें 3 मजदूरों की मौत हुई और 81+ लोग फंसे
मांडले में ऐतिहासिक अवा ब्रिज ढह गया, नेपिडो में सड़कों में दरारें आईं
सागाइंग और मांडले क्षेत्रों में अस्पतालों में रक्त की कमी हो गई
We News 24 Hindi / अनिरुद्ध प्रसाद
नई दिल्ली:- आज 28 मार्च 2025 को आए शक्तिशाली भूकंप ने दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों को प्रभावित किया है। म्यांमार के मध्य क्षेत्र में आए इस भूकंप की तीव्रता 6.9 से 7.7 मैग्निट्यूड के बीच बताई जा रही है, जिसका केंद्र मांडले शहर से करीब 17.2 किलोमीटर दूर था। इसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी, जिसके कारण इसके झटके व्यापक क्षेत्र में महसूस किए गए।
इस भूकंप ने न सिर्फ म्यांमार और थाईलैंड (बैंकॉक) को हिलाया, बल्कि पड़ोसी देशों पर भी असर डाला।मेघालय और दिल्ली-एनसीआर में हल्के झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ आइए, उन चार देशों के बारे में जानते हैं जो इससे प्रभावित हुए:
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म्यांमार: भूकंप का केंद्र म्यांमार में था, जहां सबसे ज्यादा नुकसान की खबरें हैं। मांडले, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, में कई इमारतें ढह गईं। प्रसिद्ध अवा ब्रिज भी इस आपदा में नष्ट हो गया। मोनीवा के पास आए इस भूकंप से भारी तबाही की सूचना है।
थाईलैंड (बैंकॉक): बैंकॉक में भूकंप के झटकों ने इमारतों को हिला दिया। एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत ढह गई, जिसमें 144+ लोगों की मौत और 700+ घायल 43 लोगों के लापता होने और मारे जाने की आशंका है। लोग डर के मारे इमारतों से बाहर निकल आए, और निकासी की प्रक्रिया शुरू हुई। यह क्षेत्र भूकंप के लिए आमतौर पर दुर्लभ माना जाता है, इसलिए यह घटना चौंकाने वाली रही।
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लाओस: म्यांमार के उत्तर-पूर्व में स्थित लाओस में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, अभी तक वहां से बड़े नुकसान की खबरें सामने नहीं आई हैं, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में असर होने की संभावना है।
भारत: म्यांमार से सटे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर मणिपुर, नागालैंड और असम में हल्के झटके महसूस किए गए। इन क्षेत्रों में भूकंप का खतरा पहले से मौजूद है, लेकिन इस बार बड़े पैमाने पर नुकसान की सूचना नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री ने म्यांमार को मदद की पेशकश भी की है।
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इस भूकंप ने क्षेत्र में अफरा-तफरी मचा दी है। म्यांमार में भारी तबाही और बैंकॉक में इमारतों के ढहने की घटनाओं ने स्थिति की गंभीरता को उजागर किया है। राहत और बचाव कार्य शुरू हो चुके हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए एकजुट हो रहा है।
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