छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, और हाल के दिनों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
We News 24 Hindi / अर्जुन राठी
छत्तीसगढ़:- के सुकमा जिले में शनिवार, 28 मार्च 2025 को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 16 नक्सली मारे गए। यह घटना सुकमा-दंतेवाड़ा सीमा पर उपमपल्ली केरलापाल इलाके के जंगल में सुबह करीब 6:50 बजे शुरू हुई। सुकमा के एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि मुठभेड़ के बाद 16 नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं, और इलाके में अभी भी सर्च ऑपरेशन जारी है। बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज ने पुष्टि की कि इस ऑपरेशन में दो जवानों को मामूली चोटें आईं, जिन्हें इलाज के लिए रायपुर भेजा गया है।
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यह ऑपरेशन तब शुरू हुआ जब सुरक्षा बलों को खुफिया जानकारी मिली कि नक्सली कमांडर जगदीश गोगुंडा इस इलाके में छिपा हुआ है। इसके आधार पर डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) और सीआरपीएफ के जवानों ने इलाके की घेराबंदी की और सर्च ऑपरेशन चलाया। इसी दौरान नक्सलियों के साथ गोलीबारी शुरू हुई, जिसमें सुरक्षा बलों ने 16 नक्सलियों को ढेर कर दिया। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।
इससे पहले, मंगलवार 25 मार्च 2025 को दंतेवाड़ा जिले में भी सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 25 लाख रुपये के इनामी नक्सली सुधीर उर्फ सुधाकर उर्फ मुरली सहित तीन नक्सली मारे गए थे। उस घटना में भी इंसास राइफल, 303 राइफल और गोला-बारूद बरामद हुआ था। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, और हाल के दिनों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्र नक्सल गतिविधियों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं, जहां आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।
सुकमा जिले का नक्सल संदर्भ
सुकमा जिला छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सिरे पर स्थित है और यह राज्य के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है। जिले की 85% से अधिक जनसंख्या जनजातीय समुदाय (गोंड) से संबंधित है और यहाँ का जनसंख्या घनत्व मात्र 45 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले का 65% हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है, जो नक्सलियों के लिए आदर्श छिपने का स्थान प्रदान करता है ।
सुकमा जिले में नक्सल समस्या का एक प्रमुख कारण यहाँ की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियाँ, कम साक्षरता दर (मात्र 29%) और आर्थिक पिछड़ापन है। जिले की जनजातीय आबादी वर्षा आधारित कृषि और लघु वन उपज पर निर्भर है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर बनी हुई है ।
राज्य में नक्सल स्थिति का व्यापक परिदृश्य
छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 33 जिलों में से 15 जिले नक्सल प्रभावित हैं, जिनमें सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा, अबूझमाड़ और बलरामपुर प्रमुख हैं ।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2010 में देश के 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशन नक्सल प्रभावित थे, जो 2023 तक घटकर 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशन रह गए हैं। यह कमी सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन और विकासात्मक गतिविधियों का परिणाम है ।
सरकार की नीति और भविष्य की रणनीति
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का सफाया करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुरक्षा बलों के ऑपरेशन के साथ-साथ पुनर्वास नीति और विकास संबंधी क्रियाकलापों पर भी जोर दिया जा रहा है ।
हाल के महीनों में नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी वृद्धि हुई है। 15 मार्च 2025 को ही सुकमा और बीजापुर जिलों के 64 नक्सलियों ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जिनमें 16 महिलाएं भी शामिल थीं। ये सभी नक्सली माओवादी संगठनों की विभिन्न बटालियनों में सक्रिय थे ।
सुकमा जिले में हुई यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की एक बड़ी सफलता है। 16 नक्सलियों के मारे जाने और भारी मात्रा में हथियारों की बरामदगी से नक्सली संगठनों को गंभीर झटका लगा है। हालांकि, सुकमा जैसे दुर्गम और वनाच्छादित क्षेत्रों में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान केवल सैन्य कार्रवाई से ही संभव नहीं है। इसके लिए विकासात्मक गतिविधियों को तेज करना, स्थानीय जनता को रोजगार के अवसर प्रदान करना और शिक्षा का प्रसार करना भी उतना ही आवश्यक है। सरकार की पुनर्वास नीति और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं।
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