Header Ads

  • Breaking News

    नेपाल का नारायणहिती हत्याकांड: 1 जून 2001 की वो खुनी रहस्यमयी रात आज भी एक रहस्य

    नेपाल का नारायणहिती हत्याकांड: 1 जून 2001 की वो रहस्यमयी रात अज भी एक रहस्य




    हाइलाइट्स:

    • 1 जून 2001 को नेपाल के नारायणहिती पैलेस में राजा बीरेंद्र सहित शाही परिवार के कई सदस्यों की हत्या।
    • घटना के मुख्य आरोपी क्राउन प्रिंस दीपेंद्र, जिन्होंने खुद को भी मारी गोली।
    • आधिकारिक जांच रिपोर्ट के बावजूद अब भी हत्या के पीछे की साजिश पर सवाल।
    • क्या यह पारिवारिक विवाद था या कोई राजनीतिक षड्यंत्र?
    • 23 साल बाद भी नेपाल की सबसे बड़ी त्रासदी बना हुआ यह हत्याकांड।





    We News 24 Hindi / दीपक कुमार 


    नई दिल्ली :- 1 जून 2001 को नेपाल के नारायणहिती पैलेस में हुए शाही नरसंहार (Royal Massacre) की घटना नेपाल के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस घटना में राजा बीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या और शाही परिवार के नौ अन्य सदस्यों की मौत हो गई। इस हत्याकांड को लेकर कई सवाल और षड्यंत्र के सिद्धांत आज भी बने हुए हैं। आइए, इस घटना के विवरण और इससे जुड़े रहस्यों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।


    घटना का विवरण

    पार्टी का आयोजन:

    1 जून 2001 को नारायणहिती पैलेस में शाही परिवार की एक पारिवारिक पार्टी चल रही थी।यह पार्टी दरअसल हर नेपाली महीने के तीसरे शुक्रवार को होती थी. इस पार्टी की शुरुआत महाराजा बीरेंद्र ने 1972 में राजगद्दी संभालने के बाद की थी.


    ये भी पढ़े-पुलिस सुधार और मानवीय अधिकार: न कामके घंटे तय नाही सप्ताहिक अवकाश ,कब बदलेगी व्यवस्था?


    दीपेंद्र का नशे में होना:

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्राउन प्रिंस दीपेंद्र पार्टी के दौरान नशे में दिख रहे थे। वह पार्टी में गिर पड़े और उन्हें उनके बेडरूम में ले जाया गया।


    दीपेंद्र का वापस आना और गोलीबारी:

    कुछ समय बाद, दीपेंद्र सैनिक वर्दी में वापस पार्टी में आए। उनके हाथ में MP5K सबमशीन गन, कोल्ट एम-16 राइफल और 9 MM पिस्टल थी। उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें राजा बीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या, उनके छोटे भाई राजकुमार निरजन और बहन राजकुमारी श्रुति सहित नौ लोग मारे गए।



    ये भी पढ़े-क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही? , नेपाल का बदकिस्मत महल नारायणहिती पैलेस का इतिहास फिर सुर्खियों में



    दीपेंद्र की आत्महत्या:

    गोलीबारी के बाद, दीपेंद्र महल के बाहर एक गार्डन में बने तालाब के पास गए और अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वह तीन दिनों तक कोमा में रहे और 4 जून 2001 को उनकी मृत्यु हो गई।


    हत्याकांड के बाद की घटनाएं

    दीपेंद्र को राजा घोषित किया गया:

    दीपेंद्र को कोमा में रहने के दौरान नेपाल का राजा घोषित किया गया। राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र को तीन दिनों के लिए रीजेंट नियुक्त किया गया और फिर दीपेंद्र की मृत्यु के बाद वह राजा बने.


    जांच और निष्कर्ष:

    मुख्य न्यायाधीश केशव प्रसाद उपाध्याय और सदन के अध्यक्ष तारानाथ राणाभट की दो सदस्यीय समिति ने इस घटना की जांच की। जांच में 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई, और निष्कर्ष निकाला गया कि दीपेंद्र ही इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार थे।हालांकि दीपेंद्र के कातिल होने के दावे पर बार-बार नेपाल के भीतर और बाहर सवाल उठते रहे.



    इसे भी पढ़े-"संसद में वोटर लिस्ट पर बवाल: विपक्ष ने उठाए सवाल, चुनाव आयोग से जवाब की मांग"


    षड्यंत्र के सिद्धांत

    दीपेंद्र की शादी को लेकर विवाद:

    एक सिद्धांत के अनुसार, दीपेंद्र ने अपने माता-पिता की हत्या इसलिए की क्योंकि उन्हें देवयानी से शादी करने की अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि, इस सिद्धांत पर भी सवाल उठते रहे हैं।


    ज्ञानेंद्र का भूमिका:

    कुछ लोगों का मानना है कि ज्ञानेंद्र और उनके परिवार की इस घटना में संलिप्तता हो सकती है। ज्ञानेंद्र हत्याकांड के दिन पोखरा में थे और पार्टी में शामिल नहीं हुए थे. नरसंहार के दौरान उनकी पत्नी कोमल, उनका बेटा पारस और उनकी बेटी प्रेरणा शाही महल के कमरे में थे. जबकि राजा बीरेंद्र का पूरा परिवार मारा गया लेकिन ज्ञानेंद्र के परिवार के किसी सदस्य की जान नहीं गयी . उनके बेटे को मामूली चोटें आईं और उनकी पत्नी को जानलेवा गोली लगी, लेकिन वह बच गईं. इसने षड्यंत्र के सिद्धांतों को जन्म दिया.



    ये भी पढ़े-अयोध्या: सुहागरात पर संदिग्ध हालात में दूल्हा-दुल्हन की मौत, हत्या के बाद आत्महत्या की आशंका


    विदेशी हाथ की आशंका:

    कुछ लोगों का मानना है कि इस हत्याकांड के पीछे किसी विदेशी शक्ति का हाथ हो सकता है। 


    सुरक्षा गार्ड की भूमिका:

    यह सवाल भी उठता है कि जब यह सब कुछ महल में हो रहा था, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड क्या कर रहे थे।ये भी एक षड्यंत्र  हो सकता है ?


    राजनीतिक प्रभाव

    राजशाही का अंत:

    इस हत्याकांड ने नेपाल में राजशाही के अंत की नींव रखी। 2008 में नेपाल को एक गणतंत्र देश घोषित किया गया, और राजशाही का अंत हो गया।


    ये भी पढ़े-इंदौर: चैंपियंस ट्रॉफी जीत के जश्न में महू में भड़की हिंसा, आगजनी और पथराव के बाद सेना तैनात



    माओवादी आंदोलन:

    इस हत्याकांड ने माओवादी विद्रोह को और बढ़ावा दिया, जिससे नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई।


    निष्कर्ष

    1 जून 2001 की घटना नेपाल के इतिहास में एक दुखद और रहस्यमय अध्याय है। इस हत्याकांड ने न केवल शाही परिवार को तबाह किया, बल्कि नेपाल की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को भी प्रभावित किया। आज भी इस घटना से जुड़े कई सवाल अनुत्तरित हैं, और यह नेपाल के लोगों के लिए एक दर्दनाक स्मृति बनी हुई है। 



    ये वीडियो भी  देखे -



    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad