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    नेपाल के शाही हत्याकांड: इतिहास के काले पन्ने ,पहले भी तिन बार हुआ शाही हत्याकांड

     

    नेपाल के शाही हत्याकांड






    We News 24 Hindi / दीपक कुमार 



    नेपाल :- के इतिहास में शाही परिवार के नरसंहार के कुछ प्रमुख घटनाएं दर्ज हैं, जिनमें सबसे कुख्यात 2001 का नारायणहिती पैलेस नरसंहार है। हालाँकि, नेपाल के इतिहास में इससे पहले भी कई बार राजशाही से जुड़े हत्याकांड और षड्यंत्र हुए हैं। आइए जानते हैं, नेपाल के शाही परिवार से जुड़े नरसंहारों के बारे में:



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    राजा रणबहादुर शाह की हत्या


    1. राजा रणबहादुर शाह की हत्या (1806)

    घटना: नेपाल के पूर्व राजा रणबहादुर शाह को 25 अप्रैल 1806 को उनके सौतेले भाई शेर बहादुर शाह ने काठमांडू में हत्या कर दी।

    कारण: सत्ता संघर्ष और पारिवारिक दुश्मनी।

    परिणाम: इस हत्या के बाद भीमसेन थापा नेपाल के शक्तिशाली प्रधानमंत्री बने।


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    काठमांडू में हनुमान ढोका


    2. कोट पर्व (Kot Massacre) – 14 सितंबर 1846


    घटना: कोट नरसंहार (नेपाली: कोट पर्व) 14 सितंबर 1846 को हुआ था जब तत्कालीन काजी जंग बहादुर कुंवर और उनके भाइयों ने काठमांडू में हनुमान ढोका के महल शस्त्रागार (कोट) में नेपाल के प्रधान मंत्री और राजा के रिश्तेदार, चौतरिया फतेह जंग शाह के साथ-साथ अन्य वरिष्ठतम मंत्रियों और सेना जनरलों सहित लगभग 30-40 नागरिक अधिकारियों, सैन्य अधिकारियों और नेपाली महल दरबार के महल रक्षकों की निर्मम हत्या कर दी थी।

    कोट बैठक रानी राज्य लक्ष्मी देवी द्वारा बुलाई गई थी, क्योंकि उसी रात उनके विश्वासपात्र काजी गगन सिंह भंडारी की उनके प्रार्थना कक्ष में पूजा करते समय हत्या कर दी गई थी। कोट बैठक में बहुत बुरा हाल हो गया और अंततः जंग बंधुओं और उनके समर्थकों ने बैठक में शामिल सभी प्रतिद्वंद्वी प्रतिभागियों पर खुले दरबार में हमला कर दिया। इस हत्याकांड के कारण चौतारिया, पांडे, थापा और बसन्यात जैसे राजनीतिक घरानों और राजा राजेंद्र बिक्रम शाह और रानी राज्य लक्ष्मी देवी की शक्ति समाप्त हो गई और अंततः नेपाल में राणा तानाशाही की स्थापना हुई।

    मुख्य साजिशकर्ता: जंग बहादुर राणा, जिन्होंने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया।

    परिणाम: इस घटना के बाद नेपाल में राणा शासन (1846-1951) की शुरुआत हुई, जिसने शाही परिवार को शक्तिहीन बना दिया।


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    3. बंशीधर भगवती हत्याकांड (1885)

    घटना: रणोददीप सिंह बहादुर कुंवर राणा या रणोददीप सिंह कुंवर (1933-1942) राणा शासन के दूसरे श्री 3 महाराजा थे और नेपाल के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत थे। अपने भाई जंग बहादुर राणा की मृत्यु के बाद, उन्होंने जंग बहादुर द्वारा निर्धारित पद के अनुसार श्री 3 का पद संभाला।


    अपने भतीजों (भाई जंग बहादुर और भाई धीरशमशेर के बेटे) के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण असुरक्षित महसूस करते हुए, रणोददीप ने 'बिजुली गैरत' नामक एक विशेष बल का गठन किया था। लेकिन बाद में उनके अपने भतीजों (धीरशमशेर के बेटों) ने उनकी हत्या कर दी। उनके बाद उनके भतीजे बीर शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री बने।

    परिणाम: नेपाल में बीर शमशेर राणा की सत्ता मजबूत हुई और उन्होंने अपने विरोधियों को खत्म कर दिया।



    नेपाल के शाही हत्याकांड: इतिहास के काले पन्ने ,पहले भी तिन बार हुआ शाही हत्याकांड


    4. नारायणहिती पैलेस नरसंहार (1 जून 2001)

    घटना: नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र शाह, रानी ऐश्वर्या और 9 अन्य शाही सदस्यों की हत्या।

    दोषी: राजकुमार दीपेंद्र, जिन्होंने खुद को भी गोली मार ली थी।

    संभावित कारण:

    पारिवारिक विवाद (दीपेंद्र की शादी को लेकर विवाद)।

    राजनीतिक साजिश (कुछ लोग इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश भी मानते हैं)।

    परिणाम:

    नेपाल में राजशाही की साख को भारी नुकसान।

    राजा बीरेंद्र की मौत के बाद उनके भाई ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के अंतिम राजा बने।

    2008 में नेपाल में लोकतंत्र लागू हुआ और राजशाही समाप्त कर दी गई।

    निष्कर्ष:

    नेपाल में सत्ता संघर्ष के कारण 19वीं और 20वीं शताब्दी में कई बड़े नरसंहार हुए। हालांकि, 2001 का नरसंहार सबसे चर्चित और रहस्यमयी हत्याकांड माना जाता है, जिसने नेपाल की 240 साल पुरानी राजशाही को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।


    अब, नेपाल में एक बार फिर से राजशाही बहाली की मांग उठ रही है। क्या यह मांग सफल होगी? यह देखने वाली बात होगी।क्या इतिहास खुद को दोहराएगा?



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