हाईलाइट्स:
- हावर्ड के खगोल वैज्ञानिक डॉ. विली सून का दावा – भगवान का अस्तित्व गणित से सिद्ध हो सकता है।
- ‘फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट’ के सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड के भौतिक नियम इतने सटीक हैं कि वे मात्र संयोग नहीं हो सकते।
- कैम्ब्रिज गणितज्ञ पॉल डिराक ने गणितीय सूत्र से ब्रह्मांडीय संतुलन को समझाने का प्रयास किया।
- डॉ. सून ने अपनी किताब और पॉडकास्ट में भगवान और ब्रह्मांड के गणितीय संबंध पर चर्चा की।
- क्या यह सिद्धांत नास्तिकों को जवाब देने के लिए पर्याप्त है? वैज्ञानिक जगत में इस पर बहस जारी।
We News 24 Hindi /गौतम कुमार
नई दिल्ली :- भगवान या ईश्वर के अस्तित्व को लेकर दुनिया में दो मुख्य विचारधाराएं हैं: आस्तिकता (ईश्वरवाद) और नास्तिकता (अनीश्वरवाद)। आस्तिक लोग ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखते हैं, जबकि नास्तिक लोग ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाण के अभाव में नहीं मानते। इस बीच, हार्वर्ड के खगोल भौतिक वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. विली सून ने एक गणितीय सूत्र के माध्यम से ईश्वर के अस्तित्व को साबित करने का दावा किया है, जिसने इस बहस को नई दिशा दी है।
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डॉ. विली सून का सिद्धांत:
डॉ. सून ने अपने सिद्धांत में "फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट" (Fine-Tuning Argument) को केंद्र में रखा है। यह सिद्धांत बताता है कि ब्रह्मांड के भौतिक नियम इतने सटीक और संतुलित हैं कि वे जीवन के अस्तित्व को संभव बनाते हैं। यह संतुलन इतना परिपूर्ण है कि इसे महज संयोग नहीं माना जा सकता। डॉ. सून के अनुसार, यह सटीकता एक उच्च शक्ति या ईश्वर के अस्तित्व की ओर इशारा करती है।
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गणितीय सूत्र और पॉल डिराक:
डॉ. सून ने अपने सिद्धांत में कैम्ब्रिज के प्रसिद्ध गणितज्ञ पॉल डिराक के एक सूत्र का हवाला दिया है। डिराक ने बताया था कि ब्रह्मांडीय स्थिरांक (Cosmological Constants) अद्भुत सटीकता के साथ मेल खाते हैं। यह सूत्र ब्रह्मांड के भौतिक नियमों के संतुलन को समझने में मदद करता है। डॉ. सून ने कहा कि गणित और ब्रह्मांड के बीच एक गहरा सामंजस्य है, जो एक उच्च शक्ति के अस्तित्व की ओर इशारा करता है।
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डॉ. सून का दावा:
डॉ. सून ने एक पॉडकास्ट में अपने सिद्धांत को समझाया और दावा किया कि गणित के माध्यम से ब्रह्मांड के नियमों को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड की संरचना और उसके नियम इतने सटीक हैं कि यह संयोग से नहीं हो सकता। उनके अनुसार, यह सटीकता एक उच्च बुद्धिमत्ता या ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण हो
सकती है।
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वैज्ञानिक और दार्शनिक प्रतिक्रिया:
हालांकि, डॉ. सून का यह दावा वैज्ञानिक समुदाय में विवादास्पद है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड की सटीकता को प्राकृतिक नियमों और संयोग के माध्यम से भी समझा जा सकता है। उनका तर्क है कि ईश्वर के अस्तित्व को साबित करने के लिए और अधिक प्रमाण और शोध की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
डॉ. विली सून का यह सिद्धांत ईश्वर के अस्तित्व को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। यह विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच एक सेतु का काम कर सकता है। हालांकि, इस सिद्धांत को अभी और परीक्षण और विश्लेषण की आवश्यकता है। यह बहस इस बात को रेखांकित करती है कि ब्रह्मांड की रहस्यमयी प्रकृति को समझने के लिए विज्ञान और दर्शन दोनों की आवश्यकता है।
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