- हाईलाइट्स:
- बशर अल-असद समर्थकों ने सरकारी बलों पर हमला किया, 16 सैनिकों की मौत।
- जवाबी कार्रवाई में 28 असद समर्थक लड़ाके मारे गए, क्षेत्र में बढ़ा तनाव।
- असद के पूर्व कमांडर ने 'कोस्टल शील्ड रेजिमेंट' नामक विद्रोही संगठन बनाया।
- बशर अल-असद ने रूस में शरण ली, 50 वर्षों के शासन के बाद सत्ता से बेदखल।
- लताकिया में असद समर्थकों का जबरदस्त प्रभाव, सुरक्षाबल कर रहे हैं कार्रवाई।
We News 24 Hindi / मिडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली :-सीरिया में सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के वफादार लड़ाकों और नई सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को असद समर्थकों ने सरकारी बलों पर हमला किया, जिसमें करीब 16 सुरक्षाकर्मी मारे गए। सरकारी बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 28 असद समर्थकों को ढेर कर दिया। यह हमला जाबलेह क्षेत्र में हुआ, जहां सुरक्षा प्रमुख ने बताया कि असद समर्थकों के हमलों से तनाव और बढ़ गया है।
इस बीच, असद सरकार के पूर्व कमांडर की एक वीडियो सामने आई है, जिसमें उन्होंने नई सरकार के खिलाफ "कोस्टल शील्ड रेजिमेंट" नामक एक प्रतिरोधक संगठन के गठन की बात कही है। यह संगठन नई सरकार को चुनौती दे रहा है। बता दें कि सीरिया में बशर अल-असद का शासन खत्म हो गया है और मोहम्मद अल-शरा के संगठन एचटीएस ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, कुछ इलाकों में असद की सेना अभी भी छोटे-छोटे विद्रोही गुटों से लड़ रही है।
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विद्रोहियों के कब्जे के कारण बशर अल-असद को परिवार सहित रूस में शरण लेनी पड़ी। असद का परिवार पिछले 50 वर्षों से सीरिया पर शासन कर रहा था। असद शिया समुदाय के नेता हैं, जबकि सीरिया एक सुन्नी बहुल देश है। असद के शासनकाल में सुन्नी मुस्लिमों को लगता था कि उन्हें सरकार में उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, असद सरकार के दौरान सीरिया का मध्यपूर्व की सुन्नी ताकतों (जैसे सऊदी अरब, तुर्की और कतर) के साथ संबंध खराब रहे हैं।
लताकिया शहर में असद का जबरदस्त समर्थन है, क्योंकि यहां अलावी अल्पसंख्यक बड़ी संख्या में रहते हैं। अलावी समुदाय ने असद और उनकी सरकार का खुलकर समर्थन किया है। विद्रोहियों के सत्ता में आने के बाद सीरिया के सुरक्षा बलों ने असद के वफादार लड़ाकों को उनके गढ़ों से निकालने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। यह संघर्ष सीरिया में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा को और बढ़ा सकता है।
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