हाइलाइट्स:
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों से यहूदी-विरोधी प्रदर्शनों में शामिल छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की मांग की।
भारतीय छात्रों के लिए बड़ा खतरा, क्योंकि अमेरिका में वे सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय (3.3 लाख+) हैं।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी केस: भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द, हमास समर्थन के आरोप में।
नीति लागू होने पर डिपोर्टेशन, वीजा रद्द होने और कानूनी उलझनों का सामना कर सकते हैं भारतीय छात्र।
सुझाव: राजनीतिक प्रदर्शनों से दूरी, अमेरिकी कानूनों का पालन, इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफिस से संपर्क।
We News 24 Hindi / गौतम कुमार
नई दिल्ली :- ट्रंप प्रशासन का यह हालिया कदम, जिसमें विश्वविद्यालयों से एंटी-सेमिटिक (यहूदी विरोधी) उत्पीड़न और कैंपस प्रदर्शनों में शामिल छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी गई है, निश्चित रूप से भारतीय छात्रों के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकता है। यह नीति, यदि पूरी तरह लागू हुई, तो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी छात्रों, खासकर भारतीय छात्रों पर गहरा असर डाल सकती है। आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
मामला क्या है?
ट्रंप प्रशासन ने उन विश्वविद्यालयों पर नकेल कसने की योजना बनाई है, जिन पर यहूदी छात्रों के खिलाफ उत्पीड़न को रोकने में नाकामी का आरोप है। इसके तहत प्रशासन ने विश्वविद्यालयों से उन छात्रों की जानकारी मांगी है, जो ऐसे कृत्यों या बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं। इस जानकारी का उपयोग एक संभावित "सूचना लिस्ट" तैयार करने के लिए किया जा सकता है, जिसके आधार पर भविष्य में छात्रों को डिपोर्ट करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। यह कदम खास तौर पर उन विदेशी छात्रों के लिए जोखिम भरा हो सकता है, जो अमेरिका में स्टूडेंट वीजा पर निर्भर हैं।
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भारतीय छात्रों पर प्रभाव
अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2023-2024 के आंकड़ों के अनुसार, 3,31,602 भारतीय छात्र वहां पढ़ाई कर रहे हैं, जो उन्हें सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय बनाता है। ऐसे में, यदि यह नीति सख्ती से लागू होती है, तो भारतीय छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खासकर वे छात्र जो कैंपस में होने वाले राजनीतिक या सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लेते हैं, वे इस नीति के दायरे में आ सकते हैं। यहां तक कि बिना किसी ठोस अपराध के भी उनकी राष्ट्रीयता और पहचान के आधार पर उन पर कार्रवाई हो सकती है, जिससे डिपोर्टेशन का खतरा बढ़ जाता है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय का उदाहरण
कोलंबिया विश्वविद्यालय इस नीति का एक प्रमुख उदाहरण बनकर उभरा है। हाल ही में वहां हुए छात्र प्रदर्शनों के बाद ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय पर यहूदी छात्रों की सुरक्षा में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। इसके परिणामस्वरूप, प्रशासन ने $400 मिलियन की फंडिंग रोकने की धमकी दी और विश्वविद्यालय को अपनी नीतियों में सुधार करने का निर्देश दिया। इस दौरान कुछ छात्रों को निशाना बनाया गया, जिनमें भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन भी शामिल थीं। रंजनी का वीजा रद्द कर दिया गया, क्योंकि उन पर हमास समर्थक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा। यह घटना दर्शाती है कि ट्रंप प्रशासन की नीति विदेशी छात्रों के लिए कितनी सख्त हो सकती है।
अगर नीति लागू हुई तो क्या होगा?
यदि यह नीति पूरी तरह लागू होती है, तो भारतीय छात्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:
डिपोर्टेशन का जोखिम: जो छात्र किसी भी तरह के प्रदर्शन या आंदोलन में शामिल होंगे, उनकी पहचान और राष्ट्रीयता के आधार पर उन्हें देश से निकाला जा सकता है, भले ही उनका इरादा उत्पीड़न का न हो।
कानूनी जटिलताएं: बिना स्पष्ट अपराध सिद्ध हुए भी छात्रों को निशाना बनाया जा सकता है, जिससे उनके वीजा की स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
मानसिक दबाव: इस नीति से छात्रों में डर का माहौल बन सकता है, जिससे वे कैंपस की गतिविधियों में हिस्सा लेने से बच सकते हैं, जो उनकी शैक्षिक और सामाजिक अनुभव को सीमित कर सकता है।
भारतीय छात्रों के लिए सुझाव
इस बदलते परिदृश्य में भारतीय छात्रों को सतर्क रहना होगा। कुछ जरूरी कदम इस प्रकार हैं:
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कानूनों का पालन: अमेरिकी कानूनों और विश्वविद्यालय की नीतियों का सख्ती से पालन करें, ताकि किसी भी विवाद से बचा जा सके।
जागरूकता: अपने अधिकारों और वीजा नियमों की पूरी जानकारी रखें। कैंपस के इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफिस से संपर्क में रहें।
सावधानी: राजनीतिक या संवेदनशील प्रदर्शनों में शामिल होने से पहले उसके परिणामों का आकलन करें, खासकर अगर वे विवादास्पद हो सकते हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप प्रशासन का यह कदम भारतीय छात्रों के लिए एक चेतावनी की तरह है। यह नीति न केवल उनकी शैक्षिक यात्रा को प्रभावित कर सकती है, बल्कि उनके भविष्य को भी अनिश्चितता में डाल सकती है। कोलंबिया विश्वविद्यालय जैसे मामलों से साफ है कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीर है और विदेशी छात्रों पर विशेष नजर रख रहा है। ऐसे में, भारतीय छात्रों को सावधानी बरतते हुए अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वे इस नए संकट से सुरक्षित रह सकें।
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