We News 24 Hindi रिपोर्ट: गौतम कुमार
नई दिल्ली :- दिल्ली सरकार ने ऑटो रिक्शा चालकों के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए परमिट ट्रांसफर के नियमों में ढील दी है। अब नया ऑटो खरीदने के 1 साल बाद ही उसे बेचा जा सकेगा, जबकि पहले इसके लिए 5 साल का इंतजार करना पड़ता था। यह फैसला 11 अप्रैल 2025 को लागू हुआ है और इससे हजारों ऑटो चालकों को लाभ मिलेगा ।
क्या बदला?
पुराना नियम: ऑटो चालकों को परमिट ट्रांसफर करने के लिए कम से कम 5 साल तक इंतजार करना पड़ता था।
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नया नियम: अब सिर्फ 1 साल बाद ही ऑटो को बेचा या ट्रांसफर किया जा सकेगा ।
लाभार्थी: दिल्ली के 90,000 से अधिक ऑटो चालक इस नए नियम से फायदा उठा सकेंगे ।
इस फैसले से ऑटो चालकों को क्या फायदा होगा?
वित्तीय लचीलापन: चालक अब जरूरत पड़ने पर जल्दी ऑटो बेच सकेंगे, जिससे उन्हें आर्थिक संकट के समय मदद मिलेगी।
बेहतर अपग्रेड: नई इलेक्ट्रिक ऑटो (ई-ऑटो) में शिफ्ट होने की प्रक्रिया आसान होगी, क्योंकि चालक पुराने वाहन को जल्दी बेचकर नया खरीद सकेंगे ।
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किराए पर ऑटो लेने वालों को राहत: कई चालक ऑटो को लीज पर लेते हैं, अब वे जल्दी मालिकाना हक हासिल कर सकेंगे।
बाजार में तरलता बढ़ेगी: ऑटो की खरीद-बिक्री में आसानी होगी, जिससे दिल्ली के परिवहन क्षेत्र को भी फायदा होगा ।
ई-ऑटो पॉलिसी के साथ तालमेल
दिल्ली सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) पॉलिसी का मसौदा भी जारी किया है, जिसके तहत:
15 अगस्त 2025 से नए सीएनजी ऑटो का पंजीकरण बंद हो जाएगा।
10 साल से पुराने ऑटो को इलेक्ट्रिक में बदलना अनिवार्य होगा ।
ई-ऑटो पर सब्सिडी (50,000 रुपये तक) और रजिस्ट्रेशन छूट का प्रावधान है 6।
इसलिए, परमिट ट्रांसफर नियमों में ढील देकर सरकार ने ऑटो चालकों को ईवी में ट्रांजिशन के लिए भी प्रोत्साहित किया है।
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चुनौतियाँ और आगे की राह
ई-ऑटो की उच्च लागत: कई चालकों को चिंता है कि इलेक्ट्रिक ऑटो की कीमत (4-6 लाख रुपये) अधिक है ।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: दिल्ली में अभी 2,452 चार्जिंग पॉइंट्स हैं, जो अपर्याप्त हो सकते हैं ।
सरकार की योजना: 2027 तक दिल्ली में 95% इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य रखा गया है ।
दिल्ली सरकार का यह फैसला ऑटो चालकों के लिए एक बड़ी राहत है, जिससे उन्हें वाहनों की खरीद-बिक्री में आसानी होगी। हालांकि, ईवी पॉलिसी के साथ इसे जोड़कर देखें तो सरकार का लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना भी है। अगर चार्जिंग सुविधाएं बढ़ाई जाएं और सब्सिडी का लाभ सीधे चालकों तक पहुँचे, तो यह नीति और प्रभावी हो सकती है।
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