We News 24 Hindi / रिपोर्ट :-स्वतंत्र पत्रकार ,दीपक कुमार
नई दिल्ली 16 अप्रैल 2025: बक्फ संशोधन कानून 2013 को लेकर देशभर में बहस तेज़ हो गई है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच चुका है, जहाँ याचिकाकर्ताओं ने इसे संवैधानिक मूल्यों और संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
बक्फ बोर्ड को बिना किसी न्यायिक जांच के ज़मीनों को अधिग्रहण करने की शक्ति देना, निजी संपत्तियों के स्वामित्व पर सवाल उठाता है। याचिकाकर्ता इसे “राइट टू प्रॉपर्टी” और “नेचुरल जस्टिस” के खिलाफ मानते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है, और अगली सुनवाई में यह तय हो सकता है कि क्या इस कानून की वैधता को बरकरार रखा जाएगा या इसे रद्द किया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय:
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बक्फ कानून में कई प्रावधान ऐसे हैं जो ट्रांसपेरेंसी और न्याय प्रक्रिया के सिद्धांतों से टकराते हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले भी “समान नागरिक अधिकार” से जुड़े कई मामलों में हस्तक्षेप कर चुकी है।
स्थानीय दृष्टिकोण:
We News 24 की पड़ताल में यह सामने आया कि देशभर के कई ज़िले, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में बक्फ के ज़मीन विवादों को लेकर सैकड़ों याचिकाएं लंबित हैं।
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निष्कर्ष:
अगर सुप्रीम कोर्ट इस कानून में बदलाव की सिफारिश करता है या इसे आंशिक रूप से रद्द करता है, तो लाखों लोगों को राहत मिल सकती है। यह फैसला भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और संपत्ति अधिकारों के संतुलन के लिए अहम साबित होगा।
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