नई दिल्ली :- यमुना नदी, जो कभी दिल्लीवासियों के लिए जीवनरेखा हुआ करती थी, आज प्रदूषण के कारण मृत्युशैया पर पड़ी है। दिल्ली में यमुना की कुल लंबाई का केवल 2% हिस्सा बहता है, लेकिन यही छोटा सा हिस्सा नदी के कुल प्रदूषण का 76% वहन करता है ।
एनडीटीवी की एक एक्सक्लूसिव जांच से पता चला है कि दिल्ली के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) में से अधिकांश ठीक से काम नहीं कर रहे हैं । इस रिपोर्ट में हम यमुना सफाई के वादों, STPs की वास्तविक स्थिति, भ्रष्टाचार के आरोपों और भविष्य की योजनाओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।
STPs की चौंकाने वाली स्थिति: आंकड़े बनाम हकीकत
दिल्ली में स्थित 37 STPs की कुल क्षमता लगभग 964.5 मिलियन गैलन प्रतिदिन (MGD) होने का दावा किया जाता है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही कहानी बयां करती है: जिसमे भ्रष्टाचार झलकता है .
क्षमता और प्रदर्शन का अंतर: जुलाई 2024 की DPCC रिपोर्ट के अनुसार, STPs की वास्तविक क्षमता केवल 712 MGD तक ही पहुंच पाई है, जबकि लक्ष्य 964.5 MGD था ।
गुणवत्ता संबंधी समस्याएं: एनडीटीवी की टीम ने जब निलोठी STP का निरीक्षण किया, तो पाया कि BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) स्तर 14 दर्ज किया गया था, जबकि वास्तविक स्थिति बहुत खराब थी । BOD का स्तर जितना कम होता है, पानी उतना ही स्वच्छ माना जाता है। निरक्षण में निलोठी STP का BOD 14 से कही ज्यादा था.
नजफगढ़ का दुखद उदाहरण: नजफगढ़ नाले साहिबी नदी का ही दूसरा नाम था. साहिबी नदी, अरावली पहाड़ियों से निकलती थी और राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली में बहती थी. अब यह नदी लगभग विलुप्त हो चुकी है और जो बची हुई है, उसे नजफ़गढ़ नाला कहा जाता है. इसी नाले से यमुना का 60% प्रदूषण होता है। यहां 16 STPs लगाए गए हैं, लेकिन एनडीटीवी की जांच में केवल एक ही STP संतोषजनक पाई गई ।
प्रमुख STPs और उनकी समस्याएं :
निलोठी STP (182 MGD): रिपोर्टेड BOD 14, लेकिन वास्तविक स्थिति बहुत खराब
कोरोनेशन पिलर STP (70 MGD): रिपोर्टेड BOD 7, लेकिन यंहा से भी गंदा पानी छोड़ा जा रहा है .
पप्पनकलां पुराना STP: BOD 12, TSS 24, लेकिन दुर्गंध और गंदा पानी
पप्पनकलां नया STP: एकमात्र सकारात्मक उदाहरण, पूरी तरह साफ पानी
सरकारी योजनाएं और उनकी विफलताएं
दिल्ली सरकार ने यमुना सफाई के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन अधिकांश निर्धारित समय सीमा में पूरी नहीं हो पाईं:
समय सीमा का बार-बार उल्लंघन: 2020 में दिल्ली सरकार ने वादा किया था कि दिसंबर 2022 तक यमुना में सीवेज का पानी नहीं डाला जाएगा। बाद में यह समय सीमा पहले फरवरी 2023 और फिर दिसंबर 2023 तक बढ़ाई गई ।
सात क्षेत्रों में विफलता: DPCC की जुलाई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना सफाई के सभी सात पैमानों पर दिल्ली पिछड़ गई है :
सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता में वृद्धि (लक्ष्य 964.5 MGD, प्राप्त 712 MGD)
नालों के पानी को नदी में गिरने से रोकना (76 सब ड्रेन का लक्ष्य, केवल 50 पर काम)
शहरी और जेजे कलस्टर में सीवर नेटवर्क निर्माण
शुद्धीकृत पानी का पुनः उपयोग
यमुना कछार परियोजनाएं
नालों से गाद निकालना
बजट आवंटन और खर्च: पिछले 32 वर्षों में यमुना सफाई पर 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन परिणाम नगण्य हैं । मार्च 2025 में दिल्ली सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये की एक और योजना प्रस्तुत की है।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताएं
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं:
2005 का घोटाला: अरविंद केजरीवाल और परिवर्तन NGO द्वारा की गई जांच में पाया गया कि DJB निजीकरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार में लिप्त था। विश्व बैंक के साथ पत्राचार से पता चला कि निजीकरण से जल क्षेत्र के प्रशासकों को $25 मिलियन प्रति वर्ष का अनुचित लाभ होने वाला था ।
हाल के विवाद: अप्रैल 2025 में DJB कार्यालय में तोड़फोड़ के मामले में BJP के दो नेताओं को जमानत मिली । इससे संस्थान में राजनीतिक हस्तक्षेप के सवाल उठे हैं।
कर्मचारियों की लापरवाही: अप्रैल 2025 में DJB ने सभी जोनल कार्यालयों में बायोमेट्रिक हाजिरी प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया, जो कर्मचारियों की लेटलतीफी को नियंत्रित करने के लिए है ।
विशेषज्ञों की राय और सुझाव
यमुना सफाई पर काम कर रहे विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि:
सचिन गुप्ता, स्वच्छता संचालन प्रमुख का कहना है कि "यमुना केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसके पानी की गुणवत्ता में सुधार करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए" ।
पंकज कुमार, अर्थ वॉरियर संगठन के सदस्य और यमुना सफाई कार्यकर्ता का मानना है कि STPs द्वारा दी जा रही रिपोर्ट्स और वास्तविक स्थिति में बड़ा अंतर है ।
जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने स्वीकार किया है कि कई STPs सही से काम नहीं कर रही हैं और वे प्रत्येक STP का निरीक्षण करेंगे ।
क्या है समाधान का रास्ता?
यमुना नदी की सफाई के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है:
STPs का उन्नयन और निगरानी: सभी STPs को आधुनिक तकनीक से लैस करना और उनकी वास्तविक समय में निगरानी करना।
पारदर्शिता और जवाबदेही: DJB के कामकाज में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना।
जन जागरूकता: स्थानीय समुदायों को जोड़कर जागरूकता अभियान चलाना, जैसा कि सचिन गुप्ता ने सुझाया ।
नदी प्रवाह का प्रबंधन: वजीराबाद के नीचे ताजे पानी के प्रवाह को सुनिश्चित करना ताकि नदी स्वयं को शुद्ध कर सके।
औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण: कड़े नियम बनाकर औद्योगिक इकाइयों द्वारा यमुना में अवशिष्ट जल छोड़ने पर रोक लगाना ।
यमुना नदी की सफाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर दिल्लीवासी का नैतिक कर्तव्य है। जैसा कि सचिन गुप्ता ने कहा, "हम सभी को मिलकर काम करना होगा तभी हम अपनी नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं" । समय आ गया है कि वादों से परे हटकर ठोस कार्रवाई की जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और जीवंत यमुना विरासत में मिल सके।
निष्कर्ष
दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की वर्तमान स्थिति और उनकी कार्यक्षमता यमुना नदी की स्वच्छता पर सीधा प्रभाव डालती है। सरकार द्वारा घोषित योजनाओं और उनकी प्रगति में देरी से यह स्पष्ट होता है कि जनता के पैसे का सही उपयोग नहीं हो रहा है। आवश्यक है कि सरकार और संबंधित विभाग इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दें और योजनाओं को समय पर और प्रभावी ढंग से लागू करें, ताकि यमुना नदी की स्वच्छता सुनिश्चित हो सके और जनता का विश्वास बना रहे।
दिल्ली में यमुना नदी की सफाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल उठते हैं। भ्रष्टाचार, प्रशासनिक निष्क्रियता, और योजनाओं की धीमी प्रगति के कारण यमुना की सफाई में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। आवश्यक है कि सरकार और संबंधित विभाग पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करें, ताकि जनता के पैसे का सही उपयोग हो सके और यमुना पुनः स्वच्छ हो सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद