We News 24 Hindi / रिपोर्ट: कविता चोधरी
नई दिल्ली:- अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। अब घर से कूड़ा मुफ्त में नहीं उठेगा। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ठोस कचरा प्रबंधन उपनियम-2018 के तहत, हर रिहायशी और व्यावसायिक संपत्ति पर यूजर चार्ज लेना शुरू कर दिया है। यह शुल्क प्रॉपर्टी टैक्स के साथ साल में एक बार लिया जाएगा।
क्या है यूजर चार्ज?
दिल्ली नगर निगम ने यह शुल्क सालों से लंबित ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों के तहत लागू किया है। रिहायशी संपत्तियों से यह शुल्क ₹50 से ₹200 प्रति माह लिया जाएगा, जो क्षेत्रफल पर निर्भर करेगा।
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रिहायशी संपत्तियों पर चार्ज:
क्षेत्रफल मासिक यूजर चार्ज
50 वर्ग मीटर तक ₹50
50-200 वर्ग मीटर ₹100
200 वर्ग मीटर से अधिक ₹200
स्ट्रीट वेंडर ₹100
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व्यावसायिक संपत्तियों पर चार्ज:
श्रेणी मासिक यूजर चार्ज
दुकानें व खाने-पीने की जगह ₹500
गेस्ट हाउस, धर्मशाला ₹2,000
हॉस्टल ₹2,000
रेस्तरां (50 सीट तक) ₹2,000
रेस्तरां (50 सीट से अधिक) ₹3,000
होटल ₹2,000
3 स्टार होटल ₹3,000
3 स्टार से ऊपर ₹5,000
बैंक, कोचिंग सेंटर ₹2,000
क्लीनिक/लैब (50 बेड तक) ₹2,000
क्लीनिक/अस्पताल (50+ बेड) ₹4,000
लघु व कुटीर उद्योग (जोखिमपूर्ण कचरा) ₹3,000
विवाह पार्टी हॉल ₹5,000
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क्या कह रही है राजनीति?
इस फैसले का आम आदमी पार्टी (AAP) ने विरोध किया है। महापौर महेश कुमार ने निगमायुक्त को पत्र लिखकर सदन की मंजूरी के बिना यूजर चार्ज लागू करने को गलत बताया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2017 में ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों को अधिसूचित किया था। 2018 में आप सरकार ने इन्हें लागू किया, लेकिन उस समय भाजपा शासित निगमों ने इसका विरोध किया था।
जनता पर कितना असर?
इस फैसले से रिहायशी संपत्ति मालिकों को सालाना 600 से 2,400 रुपये और व्यावसायिक संपत्ति मालिकों को 6,000 से 60,000 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। इससे निगम को करीब ₹150 करोड़ का सालाना राजस्व मिलने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
जहाँ एक ओर नगर निगम का दावा है कि इससे कूड़ा प्रबंधन बेहतर होगा, वहीं दूसरी ओर जनता और कुछ राजनीतिक दलों को यह कदम अनायास बोझ जैसा लग रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या इस फैसले में कोई बदलाव होता है या नहीं।
आप इस निर्णय से सहमत हैं या विरोध में? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर दें।
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