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लेखक: [दीपक कुमार ]
तारीख: [06 अप्रेल 2025]
🌏 चीन का ड्रीम प्रोजेक्ट, भारत के लिए डरावना सपना?
नई दिल्ली :- दुनिया के सबसे ऊंचे पठार और सबसे कठिन भूगोल वाले क्षेत्र तिब्बत में चीन एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जो पर्यावरण, भू-राजनीति और क्षेत्रीय स्थिरता तीनों को हिला सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे चीन में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता) पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाने की योजना ने भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया को चिंता में डाल दिया है। चीन इस डैम को 70 गीगावॉट उत्पादन क्षमता के साथ विकसित कर रहा है — यानी कि यह वर्तमान में सबसे बड़ा डैम Three Gorges Dam से भी ज्यादा ताकतवर होगा।
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यह सिर्फ डैम नहीं, चीन की रणनीतिक चाल है
इस हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट को केवल ऊर्जा उत्पादन का जरिया मानना भूल होगी। भारत के रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस प्रोजेक्ट के जरिए ब्रह्मपुत्र के जल पर नियंत्रण हासिल करना चाहता है, जिससे वह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा, कृषि और जनजीवन को प्रभावित कर सके।
पाकिस्तान की भूमिका?
पाकिस्तान इसे चीन की ओर से एक रणनीतिक लाभ के रूप में देखता है, जबकि भारत के लिए यह जल-सुरक्षा और सीमा स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
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भारत के लिए कैसे बन सकता है यह प्रोजेक्ट "डिजास्टर"?
ब्रह्मपुत्र नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों की जीवनरेखा है। चीन यदि इस नदी के प्रवाह को कृत्रिम रूप से कंट्रोल करता है तो भारत को दोहरे खतरों का सामना करना पड़ सकता है:
🌧️ मानसून में अधिक पानी छोड़ने पर बाढ़
☀️ सूखे में जल रोकने से पानी की किल्लत
🔐 यानी, ब्रह्मपुत्र चीन के हाथों "जल-हथियार" बन सकता है।
🌿 पर्यावरणीय खतरे भी गंभीर
यह डैम न केवल भू-राजनीतिक रूप से खतरनाक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी तबाही ला सकता है। ब्रह्मपुत्र के जलचक्र में बदलाव से:
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🐟 मत्स्य पालन प्रभावित होगा
🌾 कृषि क्षेत्र की उपजाऊ क्षमता घटेगी
🏞️ गाद और पोषक तत्वों की आपूर्ति रुकेगी
🪨 भूस्खलन और भूकंप के खतरे बढ़ सकते हैं
हिमालयी क्षेत्र पहले ही एक भूकंप-प्रवण ज़ोन है, और इतने बड़े जलाशय की मौजूदगी से अस्थिरता और बढ़ सकती है।
🧭 भारत की रणनीति: दोतरफा जवाब ज़रूरी
भारत सरकार ने इस डैम प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर चिंता जताई है और विशेषज्ञों की टीम इस पर अध्ययन कर रही है। लेकिन अब वक्त है ठोस कार्रवाई का:
1. कूटनीतिक मोर्चा:
चीन के साथ लगातार वार्ता और विरोध दर्ज कराना होगा
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस प्रोजेक्ट के खतरे को उजागर करना जरूरी
2. आंतरिक मजबूती:
भारत को अपने पूर्वोत्तर राज्यों में जल प्रबंधन और डैम प्रोजेक्ट्स को तेज़ करना चाहिए
सीमाई क्षेत्रों में सैन्य और पर्यावरणीय निगरानी मजबूत करनी होगी
🌐 निष्कर्ष: यह सिर्फ डैम नहीं, भविष्य की दिशा तय करेगा
ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला यह मेगा डैम भारत के लिए केवल एक भौगोलिक संकट नहीं है, बल्कि यह उसकी जल नीति, पर्यावरणीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता पर सीधा हमला भी हो सकता है। आने वाले वर्षों में यह तय करेगा कि एशिया में जल शक्ति का संतुलन किसके हाथ में रहेगा।
📢 आप क्या सोचते हैं?
क्या चीन को इस परियोजना को रोकना चाहिए?
क्या भारत को अपनी जल नीति में बदलाव करना चाहिए?
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