कश्मीर में अलगाववाद का अंत: 11 संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा. विकास की ओर बढ़ रहा कश्मीर - We News 24 - वी न्यूज २४

Breaking

We News 24 - वी न्यूज २४

"We News 24 – भारत का भरोसेमंद हिंदी समाचार चैनल। राजनीति, अपराध, खेल, मनोरंजन और देश-दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले।"

test banner

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

बुधवार, 9 अप्रैल 2025

कश्मीर में अलगाववाद का अंत: 11 संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा. विकास की ओर बढ़ रहा कश्मीर

कश्मीर में अलगाववाद का अंत: 11 संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा. विकास की ओर बढ़ रहा कश्मीर






We News 24 Hindi /   रिपोर्ट: वरिष्ठ पत्रकार  दीपक कुमार 


नई दिल्ली :- कश्मीर में एक बड़ा राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है जहां अब तक।  अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से अपने संबंध तोड़ लिए हैं और भारतीय संविधान में अपनी आस्था जताई है। इस नवीनतम विकास में: जम्मू-कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी और जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग ने हाल ही में हुर्रियत से नाता तोड़ा।  इन संगठनों ने "आजादी", "कश्मीर बनेगा पाकिस्तान" और "जनमत संग्रह" जैसे नारों से भी खुद को अलग कर लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटनाक्रम को "प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त भारत के सपने की मजबूती" बताया। 




ये भी पढ़े-फतेहपुर की दिल दहला देने वाली वारदात: दिव्यांग प्रेमी को प्रेमिका के घर बुलाकर तड़पा-तड़पा कर मार डाला




संगठनों की प्रतिबद्धता

नाता तोड़ने वाले संगठनों ने स्पष्ट घोषणा की है कि: वे भारत के संविधान, संप्रभुता, एकता और अखंडता में विश्वास रखते हैं। उनका अब किसी भी संगठन से कोई संबंध नहीं है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अलगाववाद या आतंकी हिंसा का समर्थन करता हो। कुछ नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनके संगठन का नाम हुर्रियत से जोड़ा गया तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। 




ये भी पढ़े-दिल्ली की सड़कों से हटेंगे CNG ऑटो? EV नीति 2.0 में बड़ा बदलाव, जानिए क्या है योजना




सरकार की प्रतिक्रिया

गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटनाक्रम को केंद्र सरकार की नीतियों की सफलता बताते हुए कहा:"कश्मीर में अलगाववाद अब इतिहास बन चुका है" । "मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को बाहर निकाल दिया है" ।  यह प्रधानमंत्री मोदी के "विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत" के सपने की दिशा में एक बड़ी जीत है । 


पृष्ठभूमि और प्रभाव

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 1993 में कश्मीर में उग्र आतंकवाद के दौर में हुआ था । पिछले एक महीने में कई अलगाववादी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से अलगाववाद को त्याग दिया है । सरकार ने 5 अगस्त 2019 के बाद से आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का अभियान चला रखा है । आम कश्मीरियों ने भी अलगाववाद और आतंकवाद से मुंह मोड़ लिया है, जिससे क्षेत्र में मुख्यधारा की ओर रुझान बढ़ा है । 



ये भी पढ़े- बधाई हो दिल्लीवालों, अब नहीं उठेगा मुफ्त कूड़ा! हर महीने देना होगा 50 से 200 रुपये


निष्कर्ष

यह घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है, जहां अलगाववादी विचारधारा का स्थान राष्ट्रीय एकता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता ले रही है। सरकार इसे अपनी नीतियों की सफलता मान रही है, जबकि स्थानीय लोगों ने भी शांति और विकास के मार्ग को चुना प्रतीत होता है। आम लोगों ने भी कश्मीर मे जिहाद और आजादी का नारा देने वालों से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। इससे विभिन्न अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से ही नहीं, बल्कि आजादी और अलगाववाद के नारे सभी किनारा करना शुरू कर दिया है।

जिस तरह से केंद्र सरकार ने आतंकियों और अलगाववादियों के तंत्र पर चोट की है, उसके बाद से वह पूरी तरह से हाशिए पर चले गए हैं। पाकिस्तान भी इनसे मुंह मोड़ चुका है। आम कश्मीरी अब खुलेआम आतंकी हिंसा, आजादी के नारे और पाकिस्तान की आलोचना करते हैं। यह केंद्र सरकार की नीतियों की जीत है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

Post Top Ad

Responsive Ads Here