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शनिवार, 12 अप्रैल 2025

हिंदू कैलेंडर: सनातन धर्म की समय-गणना का दिव्य चक्र ,हिंदू पंचांग (व्रत व त्यौहार सहित)

हिंदू कैलेंडर: सनातन धर्म की समय-गणना का दिव्य चक्र



We News 24 Hindi / 

नई दिल्ली | विशेष रिपोर्ट हिंदू धर्म में काल (समय) को केवल एक भौतिक तत्व नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा गया है। इसी काल को समझने और शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने के लिए हिंदू पंचांग या हिंदू कैलेंडर का उपयोग किया जाता है, जिसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन और वैदिक काल से चली आ रही है।


🌙 चंद्रगति पर आधारित है हिंदू पंचांग

हिंदू कैलेंडर को चंद्र-सौर पंचांग कहा जाता है क्योंकि यह मुख्यतः चंद्रमा की गति पर आधारित होता है।

  • इसमें 12 चंद्रमास (Lunar Months) होते हैं।

  • प्रत्येक माह चंद्रमा के पूर्ण चक्र (अमावस्या से पूर्णिमा तक और पुनः अमावस्या तक) पर आधारित होता है।

  • एक हिंदू वर्ष में लगभग 354 दिन होते हैं।

इस अंतर को सौर वर्ष (365 दिन) से संतुलित करने के लिए हर तीन वर्षों में एक अधिमास (extra month) जोड़ा जाता है, जिसे मलमास भी कहा जाता है।


📅 हिंदू वर्ष की शुरुआत और महीनों के नाम

हिंदू कैलेंडर की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (मार्च-अप्रैल) से होती है, जिसे हिंदू नववर्ष भी कहते हैं।

हिंदू महीनों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. चैत्र

  2. वैशाख

  3. ज्येष्ठ

  4. आषाढ़

  5. श्रावण

  6. भाद्रपद

  7. आश्विन

  8. कार्तिक

  9. मार्गशीर्ष

  10. पौष

  11. माघ

  12. फाल्गुन


🔭 क्या है पंचांग?

पंचांग का शाब्दिक अर्थ है – पांच अंगों वाला। ये पांच अंग होते हैं:

  1. तिथि (Date) – चंद्रमा की स्थिति के अनुसार दिन।

  2. वार (Day) – सप्ताह के सात दिन।

  3. नक्षत्र (Constellation) – चंद्रमा की स्थिति के आधार पर 27 नक्षत्र।

  4. योग (Astronomical Combination) – चंद्र और सूर्य की युति।

  5. करण (Half of Tithi) – तिथि का आधा भाग।

इन पांचों तत्वों को देखकर ही शुभ मुहूर्त, व्रत, त्यौहार, विवाह आदि की तिथियों का निर्धारण किया जाता है।


📖 कितना पुराना है हिंदू कैलेंडर?

हिंदू पंचांग को विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है जिसकी शुरुआत 57-58 ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य ने की थी।
हालांकि कई विद्वानों का मानना है कि यह प्रणाली 1000 ईसा पूर्व या उससे भी पहले वैदिक ऋषियों द्वारा विकसित की गई थी।

पुराणों और वेदों में समय की गणना युगों, मन्वंतर और कल्पों के अनुसार की गई है, जो आज की किसी भी वैज्ञानिक समय-गणना प्रणाली से कहीं अधिक विस्तृत है।


🧘‍♂️ क्यों देखा जाता है पंचांग?

कहा जाता है कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण भी किसी कार्य से पूर्व पंचांग देख कर शुभ समय में कार्य करते थे।
यह मान्यता आज भी जीवित है — विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, यात्रा, यज्ञ, व्रत और पर्व सभी में पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त चुना जाता है।


🌺 निष्कर्ष:

हिंदू कैलेंडर केवल समय बताने का माध्यम नहीं है — यह धर्म, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम है।
इसकी गहराई, गणना प्रणाली और आध्यात्मिक महत्व इसे विश्व की सबसे समृद्ध और वैज्ञानिक पंचांग प्रणाली बनाते हैं।


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📜 2025 का हिंदू पंचांग (व्रत व त्यौहार सहित)

जनवरी
15 जनवरीमकर संक्रांति
29 जनवरीषट्तिला एकादशी
30 जनवरीपौष पूर्णिमा

फरवरी
11 फरवरीजया एकादशी
13 फरवरीमासिक शिवरात्रि
14 फरवरीमाघ अमावस्या
26 फरवरीहोलाष्टक आरंभ

मार्च
09 मार्चआमलकी एकादशी
13 मार्चरंगभरी एकादशी / महाशिवरात्रि
14 मार्चहोलिका दहन
15 मार्चरंगवाली होली
27 मार्चचैत्र नवरात्रि आरंभ
31 मार्चराम नवमी

अप्रैल
08 अप्रैलमहावीर जयंती
09 अप्रैलचैत्र पूर्णिमा
12 अप्रैलहनुमान जयंती
13 अप्रैलमेष संक्रांति / बैसाखी
22 अप्रैलवरुथिनी एकादशी

मई
06 मईअक्षय तृतीया
10 मईनरसिंह जयंती
21 मईवट सावित्री व्रत
22 मईअपरा एकादशी

जून
06 जूनगंगा दशहरा
08 जूननिर्जला एकादशी
21 जूनयोग दिवस / ज्येष्ठ पूर्णिमा

जुलाई
06 जुलाईदेवशयनी एकादशी
09 जुलाईआषाढ़ पूर्णिमा
21 जुलाईगुरु पूर्णिमा

अगस्त
03 अगस्तकामिका एकादशी
08 अगस्तरक्षाबंधन
15 अगस्तश्रीकृष्ण जन्माष्टमी
17 अगस्तअजा एकादशी
28 अगस्तगणेश चतुर्थी

सितंबर
06 सितंबरऋषि पंचमी
10 सितंबरअनंत चतुर्दशी
17 सितंबरपितृ पक्ष आरंभ

अक्टूबर
02 अक्टूबरशारदीय नवरात्रि आरंभ
10 अक्टूबरमहा अष्टमी
11 अक्टूबरमहानवमी / हवन
12 अक्टूबरविजयदशमी / दशहरा
17 अक्टूबरकरवा चौथ
25 अक्टूबरधनतेरस
26 अक्टूबरनरक चतुर्दशी
27 अक्टूबरदीपावली 🪔
28 अक्टूबरगोवर्धन पूजा
29 अक्टूबरभैया दूज

नवंबर
09 नवंबरदेवउठनी एकादशी
13 नवंबरतुलसी विवाह
24 नवंबरकाल भैरव जयंती

दिसंबर
04 दिसंबरमोक्षदा एकादशी
11 दिसंबरमार्गशीर्ष पूर्णिमा
30 दिसंबरपौष अमावस्या

📌 टिप्स:

  • ये चार्ट धार्मिक पंचांग (Vikram Samvat) के अनुसार तैयार किया गया है।

  • क्षेत्रीय मतानुसार कुछ तिथियाँ बदल सकती हैं, विशेषकर दक्षिण भारत के पंचांग में।

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📜 जय श्री राम 🙏 

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