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बुधवार, 2 अप्रैल 2025

मै योगी आदित्यनाथ हूँ ,राजनीति मेरे लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है ,मेरा काम है सेवा करना

मै योगी आदित्यनाथ हूँ ,राजनीति मेरे लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है ,मेरा काम  है सेवा करना


"राजनीति मेरे लिए 'फुल टाइम जॉब' नहीं है। मैं वास्तव में एक योगी हूं।" 

उनका मुख्य उद्देश्य पार्टी (भाजपा) द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी के तहत उत्तर प्रदेश की जनता की सेवा करना है। 

उन्होंने यह भी संकेत दिया कि राजनीति में उनकी भूमिका की एक समय सीमा होगी।







We News 24 Hindi /  दीपक कुमार 




 योगी आदित्यनाथ के हालिया बयानों ने उनके राजनीतिक दर्शन, धार्मिक अनुशासन के प्रति दृष्टिकोण और शासन मॉडल को लेकर व्यापक चर्चा छेड़ी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राजनीति मेरे लिए एक ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है। इस समय मैं यहां काम कर रहा हूं, लेकिन वास्तविकता में मैं हूं तो एक योगी ही। मेरा प्राथमिक कार्य राज्य के लोगों की सेवा करना है जो मुझे पार्टी ने सौंपा है। मैं एक नागरिक के रूप में काम करता हूं और अपने को विशेष नहीं मानता। एक नागरिक के रूप में अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए मेरे लिए देश सर्वोपरि है। अगर देश सुरक्षित है तो मेरा धर्म भी सुरक्षित है। धर्म सुरक्षित है तो कल्याण का मार्ग अपने आप प्रशस्त होता है। यहां उनके प्रमुख बिंदुओं का विस्तृत विश्लेषण है:




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1. राजनीति को "फुल टाइम जॉब" न मानने की दृष्टि

योगी आदित्यनाथ ने स्वयं को मूलतः एक योगी बताते हुए राजनीति को सेवा का माध्यम माना है:


आध्यात्मिक पहचान: उन्होंने स्पष्ट किया कि वे "वास्तव में एक योगी" हैं और राजनीति उनके लिए पार्टी (भाजपा) द्वारा सौंपा गया सेवा-कार्य है। उनका मुख्य लक्ष्य संवैधानिक दायित्वों के तहत जनता की सेवा करना है।


पार्टी अनुशासन: केंद्रीय नेतृत्व के साथ मतभेदों की अफवाहों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के समर्थन से ही वे सीएम पद पर हैं ।




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2. धार्मिक अनुशासन और सार्वजनिक व्यवस्था

सड़कों पर नमाज विवाद: योगी ने सड़कों के उपयोग को "यातायात" तक सीमित बताते हुए हिंदू धार्मिक आयोजनों (जैसे कुंभ मेला) में अनुशासन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है, चाहे वह कांवड़ यात्रा हो या मोहर्रम का जुलूस ।सड़कों पर नमाज पर रोक लगाने के फैसले का समर्थन करते हुए सीएम ने कहा कि सड़क चलने के लिए होती है। जो लोग बोल रहे हैं उन्हें हिंदुओं से अनुशासन सीखना चाहिए। कुल 66 करोड़ लोग प्रयागराज आए। कहीं कोई लूटपाट, आगजनी, छेड़खानी, तोड़फोड़ और अपहरण नहीं, यह होता है धार्मिक अनुशासन। आप कांवड़ यात्रा से तुलना कर रहे हैं। यह यात्रा हरिद्वार से गाजियाबाद तक विभिन्न क्षेत्रों से जाती है तो यह सड़क पर ही होगी। हमने किसी परंपरागत मुस्लिम जुलूस को रोका? मोहर्रम के जुलूस पर रोक लगाई? यह जरूर कहा कि ताजिया की साइज छोटा करो, हाइटेंशन टॉवर की चपेट में आ जाओगे, जान चली जाएगी। हम कांवड़ यात्रियों को भी डीजे का साइज छोटा करने को कहते हैं। जो नहीं करता है उस पर सख्ती करते हैं। कानून सबके लिए बराबर लागू किया जाता है।


संभल मामला: उन्होंने धर्मस्थलों पर "जबरन कब्जे" की निंदा की और कहा कि ऐसे मामलों में ऐतिहासिक सच्चाई सामने आने पर विवाद खत्म हो जाएगा ।




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3. भाषाई एकता और रोजगार

बहुभाषी शिक्षा: भाषा विवाद पर सीएम ने कहा कि जो लोग भाषा को लेकर विवाद पैदा कर रहे हैं, वे अपने राजनीतिक हितों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन एक तरह से युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों पर प्रहार कर रहे हैं। यूपी सरकार अपने छात्रों को यूपी सरकार द्वारा तमिल, तेलुगु, मलयालम जैसी भाषाएं सिखाने को "रोजगार के अवसर बढ़ाने वाला कदम" बताया। 


4. बुलडोजर मॉडल: आवश्यकता बनाम विवाद

कानून-व्यवस्था: योगी ने बुलडोजर को "अतिक्रमण हटाने और बुनियादी ढांचा विकसित करने का उपकरण" बताया। उनके अनुसार, इसका उपयोग अवैध संरचनाओं के खिलाफ किया जाता है, न कि विवादास्पद कार्रवाई के रूप में ।




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5. आरएसएस और राष्ट्रवाद

आरएसएस का समर्थन: योगी ने कहा कि आरएसएस उन्हें पसंद करेगा जो "भारत के प्रति निष्ठावान" हैं, और जो नहीं हैं, उन्हें सही मार्ग दिखाना आरएसएस का उद्देश्य है ।


6. विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

अखिलेश यादव का हमला: समाजवादी पार्टी ने योगी के "राजनीति को पार्ट-टाइम जॉब" मानने के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति नहीं करनी चाहिए ।


7. सामाजिक न्याय और शासन

जनता दर्शन: योगी ने हाल ही में पुलिस कस्टडी में मारे गए मोहित पांडेय के परिवार से मुलाकात कर 10 लाख रुपये की मदद और कार्रवाई का आश्वासन दिया ।



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फैमिली आईडी योजना: गरीबों को योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना को प्राथमिकता दी गई है ।


निष्कर्ष

योगी आदित्यनाथ के बयानों में धर्म, राष्ट्रवाद और कानून-व्यवस्था के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण झलकता है। वे अपनी छवि को एक योगी और सेवक के रूप में प्रस्तुत करते हुए भी "योगी मॉडल" के तहत सख्त शासन को जरूरी मानते हैं। हालांकि, उनकी नीतियों पर विपक्ष और मानवाधिकार समूहों द्वारा सवाल उठाए जाते रहे हैं। 

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