We News 24 Hindi / रिपोर्ट: सूरज साहू
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झारखंड:- के दुमका जिले से एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। गोपीकांदर थाना क्षेत्र के पहाड़पुर गांव में रविवार देर रात अज्ञात हमलावरों ने एक आदिवासी दंपति की उनके ही घर में घुसकर निर्मम हत्या कर दी।
घटना की भयावहता: सोते हुए घर में उतारा मौत के घाट
मृतकों की पहचान 30 वर्षीय मोहन सोरेन और उनकी 27 वर्षीय पत्नी वेरोनिका हेम्ब्रम के रूप में हुई है। वेरोनिका इन दिनों अपने मायके पहाड़पुर गांव आई हुई थीं, जहां उनके पति मोहन सोरेन भी ठहरे हुए थे। देर रात अज्ञात हमलावरों ने घर में घुसकर धारदार हथियारों से ताबड़तोड़ वार किए और दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
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पुलिस जांच में जुटी, डॉग स्क्वॉड बुलाया गया
घटना की सूचना मिलते ही गोपीकांदर थाना प्रभारी सुमित भगत पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। डॉग स्क्वॉड और फॉरेंसिक टीम को बुलाकर जांच शुरू की गई है। हत्या का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। प्रारंभिक जांच में लूटपाट की संभावना को नकारा गया है, जिससे यह अंदेशा गहराता है कि मामला आपसी रंजिश या पारिवारिक विवाद से जुड़ा हो सकता है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और गांव का गुस्सा
पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इस दोहरे हत्याकांड से गांव में खौफ और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है—यह सोची-समझी साजिश लगती है।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों को जल्द नहीं पकड़ा गया तो वे प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
पुलिस का बयान
थाना प्रभारी सुमित भगत ने बताया:
"हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं। डॉग स्क्वॉड की मदद ली गई है। जल्द ही इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों को पकड़कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"
आखिर कब तक मारे जाते रहेंगे मासूम?
दुमका में हुई इस वारदात ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी समाज की सुरक्षा कौन करेगा? कानून के डर से बेखौफ होते अपराधी कब तक निर्दोष लोगों की जान लेते रहेंगे?
यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि एक पूरे समाज के भरोसे की हत्या है। अब देखना होगा कि पुलिस-प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और आदिवासी समाज को न्याय कब तक मिल पाता है।
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