We News 24 Hindi / रिपोर्ट: प्रियंका जैसवाल
नई दिल्ली: दिनांक: 10 अप्रैल 2025 ,26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को आज भारत लाया जा रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम अमेरिका से उसे लेकर रवाना हो चुकी है और गुरुवार दोपहर तक उसके दिल्ली पहुंचने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, राणा को दिल्ली के तकनीकी एयरपोर्ट (IGI टेक्निकल एरिया) लाया जाएगा, जहां से उसे विशेष सुरक्षा घेरे में NIA के मुख्यालय ले जाया जाएगा। राणा की यह प्रत्यर्पण प्रक्रिया भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और जांच एजेंसी की सफलता मानी जा रही है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पूर्व पाकिस्तानी सेना का डॉक्टर रह चुका है, जिसने बाद में कनाडा और अमेरिका में नागरिकता ली। राणा का नाम 26/11 मुंबई हमलों में तब आया जब जांच एजेंसियों को पता चला कि उसने अपने दोस्त और पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली को भारत में घुसपैठ और रेकी में मदद की थी।
हेडली ने राणा की कंपनी First World Immigration Services का इस्तेमाल करते हुए भारत के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए थे और कई बार मुंबई का दौरा किया था। जांच में यह भी सामने आया था कि राणा को हेडली की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी और उसने उसे जानबूझकर समर्थन दिया।
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प्रत्यर्पण की लंबी कानूनी प्रक्रिया
भारत ने 2011 में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी। हालांकि, अमेरिकी अदालत में यह मामला वर्षों तक खिंचता रहा। 2020 में राणा को लॉस एंजेलेस में गिरफ्तार किया गया और भारत की ओर से पेश साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने 2023 में उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।
इसके बाद राणा की ओर से उच्च अदालत में अपील की गई, लेकिन अमेरिकी अदालतों ने भारत की मांग को जायज़ ठहराते हुए उसकी अपील खारिज कर दी। आखिरकार, अप्रैल 2025 में अमेरिकी प्रशासन ने उसे भारत को सौंपने की अनुमति दे दी।
आगे क्या होगा?
अब जब तहव्वुर राणा भारत आ रहा है, तो NIA उससे 26/11 हमलों में उसकी भूमिका को लेकर गहन पूछताछ करेगी। यह पूछताछ कई गुप्त जानकारियों को उजागर कर सकती है, जो अब तक सार्वजनिक नहीं हुई थीं।
इसके साथ ही यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राणा से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान की भूमिका को लेकर कोई नया खुलासा करती है। साथ ही यह मामला अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भारत की सक्रियता और दबाव बनाने की क्षमता को भी दर्शाता है।
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निष्कर्ष:
तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण न केवल 26/11 हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की भी पुष्टि करता है।
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